आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
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आ बैल मुझे मार
मेरी ग़लती को तू सुधार
नेकी करने का भूत
मेरे सिर से अब तू उतार...
मैंने सोचा सब सच्चा है
कर्मों का फल सब अच्छा है
यह सोचा बढ़ गया मैं आगे
न देखा सींग था वो ताने
देख के मेरी नेकी
मेरे पीछे वो भागे
अच्छाई के चक्कर में
मुसीबत दिखी मेरे आगे
तब याद आई अपनों की बात
आ बैल मुझे मार
मेरी ग़लती तो तू सुधार....
