कमल तेरी फिज़ूल कलम से ! कमल तेरी फिज़ूल कलम से !
रूक थोड़ा विश्राम कर, तू ! सब्र तो कर पायेगी। रूक थोड़ा विश्राम कर, तू ! सब्र तो कर पायेगी।
यहाँ कौन जाने किस्मत में किसकी टूट जाना लिखा है पर छाँव में इनकी सोकर दिल को सुक़ून मिला है रातों में... यहाँ कौन जाने किस्मत में किसकी टूट जाना लिखा है पर छाँव में इनकी सोकर दिल को सुक़...
वो मुस्काते नहीं...। वो मुस्काते नहीं...।
भटका मैं दर दर पर वो सुकून मेरी आत्मा को ना मिला। भटका मैं दर दर पर वो सुकून मेरी आत्मा को ना मिला।
एक विचार...। एक विचार...।