भटका मैं दर दर पर वो सुकून मेरी आत्मा को ना मिला। भटका मैं दर दर पर वो सुकून मेरी आत्मा को ना मिला।
ज़िंदगी से आइन्दा है हाँ आज भी शायर ज़िंदा है। ज़िंदगी से आइन्दा है हाँ आज भी शायर ज़िंदा है।