यहाँ कौन जाने किस्मत में किसकी टूट जाना लिखा है पर छाँव में इनकी सोकर दिल को सुक़ून मिला है रातों में... यहाँ कौन जाने किस्मत में किसकी टूट जाना लिखा है पर छाँव में इनकी सोकर दिल को सुक़...
वो मुस्काते नहीं...। वो मुस्काते नहीं...।
कमल तेरी फिज़ूल कलम से ! कमल तेरी फिज़ूल कलम से !