"कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...! "कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...!
रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण। रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण।
इतनी दूर तुम न जाना कि लौटकर भी तुम फिर वापस आ न सको। इतनी दूर तुम न जाना कि लौटकर भी तुम फिर वापस आ न सको।