2019की यादें
2019की यादें
इक्कीसवीं सदी के द्वितीय दशक का , यह अंतिम वर्ष बड़ा रहा खास।
भारत मॉ॑ की शान बढ़ाने के हित,थे किए गए कुछ अति खास प्रयास।
बालाकोट एअर स्ट्राइक करारा तमाचा, आतंकवाद के गाल पर।
"करारा जवाब" देंगे कह चुप हो जाते थे, पहले हम इस हाल पर।
दुश्मन के घर घुसकर मारा, अजेय शौर्य तो अपना अभिनन्दन है।
मॉ॑ भारत के भाल का देखो, हर भारतीय सैनिक एक सुहाना चन्दन है।
भिन्नता तो कश्मीर की मिट गयी, सारा भारत एक हो गया।
पैंतीस ए के संग तो देखो, तीन सौ सत्तर अनुच्छेद हट गया।
खून की नदियों की गीदड़ धमकी थी, एक कतरा भी नहीं गिरा।
जन्मभूमि मिली प्रभु रामचन्द्रजी को, भारतीय एक भी नहीं डरा।
इसरो की गाथा चंद्रयान-दो, अपना अटूट हौसला बढ़ाता है।
हर भारतवासी का तब वक्ष गर्व से, छप्पन इंची हो जाता है।
स्पष्ट जनादेश मतदान से आया, अब खिचड़ी सरकार नहीं।
राष्ट्रवादी मुद्दे यदि विचार को आयें, तो राज्यसभा में भी हार नहीं।
दृष्टि बुराई पर न डालें, वह तो खुद-ब-खुद ही मिट जाएगी।
नासमझों को ईश कृपा से,सद्बुद्धि एक न एक दिन तो आएगी।
मिल जुलकर आगे बढ़ते जाएं हम सब,आगे ही बढ़ते जाएंगे।
विश्व पटल पर भारत मॉ॑, फिर विश्वगुरु का फिर से ताज दिलाएंगे!
