मैं कौन हूँ ?
मैं कौन हूँ ?


मैं वो आवाज़ हूँ जो गूंजना चाहती हैं
मैं वो आस हूँ जो जीना चाहती हैं
मैं वो ख़्वाब हूँ जो पूरा होना चाहती हैं,
इस दुनिया के कमरे में
हैवानों का शोर हैं
जहाँ मेरी आवाज़ में कहाँ उतना ज़ोर हैं
उन दरिंदों की हवस में
इतनी ताकत है
की मेरी आस अब कहाँ सलामत हैं
और फिर! मेरे जेहन में जो इनका ख़ौफ़ हैं
जिसने कुचल दिये ख़्वाब मेरे और
अल्फ़ाज़ों की मौत है,
सहमी हूँ मैं पर आँखों मे आग कम नहीं
चुप अभी हूँ मैं पर इरादों मे जान कम नहीं
नजरें कहीं और है पर मंज़िल दिल में ही
और सांस अभी थमी है पर उड़ान भरूँगी मैं अभी !