कलमकार प्रतीक चोरड़िया
काश वो पल वो बचपन यूँ लौट आता दुबारा क्या होता, गर पास होता कुछ ही पल हमारा। काश वो पल वो बचपन यूँ लौट आता दुबारा क्या होता, गर पास होता कुछ ही पल हमारा।
दूध के ग्लास खाली अब उनमें भरना है जाम, सबकी नज़रें मैली, दिमाग में भरा काम। खोखली दूध के ग्लास खाली अब उनमें भरना है जाम, सबकी नज़रें मैली, दिमाग में भरा काम। ...
उस पार एक जहां और भी है रास्ता जिसका सिर्फ मृत्यु जहां। उस पार एक जहां और भी है रास्ता जिसका सिर्फ मृत्यु जहां।
मूक हुई कई जान यहां जो हैवानों का परिहास बना पर कटे उस पक्षी के जो इस दुनिया में खास बना, छीन कर आ... मूक हुई कई जान यहां जो हैवानों का परिहास बना पर कटे उस पक्षी के जो इस दुनिया मे...
निकली है आवाज़ तो तू गौर से बस सुन के दिखा। निकली है आवाज़ तो तू गौर से बस सुन के दिखा।
सोचता हूं कि कौन मेरे ऊटपटांग कपड़ों को अच्छा कहेगा? कौन अब बालों में हाथ फेर मुझे मे सोचता हूं कि कौन मेरे ऊटपटांग कपड़ों को अच्छा कहेगा? कौन अब बालों में हाथ फेर...
ख़्वाबों की दुनिया का एक कलाकार बनना है मुझे खुद के अरमानों को पंख लगाकर चुनना है... ऐसी भी हसरत हो... ख़्वाबों की दुनिया का एक कलाकार बनना है मुझे खुद के अरमानों को पंख लगाकर चुनना ...
गाँव की मिट्टी वो बरगद का पेड़ और उसकी छांव गाँव की मिट्टी वो बरगद का पेड़ और उसकी छांव
इस दुनिया से परे एक ऐसी भी दुनिया होगी इस दुनिया से परे एक ऐसी भी दुनिया होगी
कागज़ की कुछ कश्तियां अब इठला के बह चली दिलों की शरारती मस्तियां अब इतरा के कह चली की... आसमां की ... कागज़ की कुछ कश्तियां अब इठला के बह चली दिलों की शरारती मस्तियां अब इतरा के कह ...