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क्या खाना ?किसको खाना? किसलिए खाना ? क्या खाना ?किसको खाना? किसलिए खाना ?
बचपन की ये सारी बातें अक्सर मुझे बहुत रूलाती है! बचपन की ये सारी बातें अक्सर मुझे बहुत रूलाती है!
तुम प्यास हो.... मैं सरिता हूँ तुम प्यास हो.... मैं सरिता हूँ
कविता! तुम कभी न रूठना मुझसे जब पुकारूँ, पास आ जाना झट से। कविता! तुम कभी न रूठना मुझसे जब पुकारूँ, पास आ जाना झट से।
फिर ताबीज़ बनाया... सीने से लगाया फिर ताबीज़ बनाया... सीने से लगाया
काश! सभी में अग्नि परीक्षा देने की हिम्मत दिखती ! काश! सभी में अग्नि परीक्षा देने की हिम्मत दिखती !
"सुनो...मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ "सुनो...मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ
बच्चों के ठहाके, रसोई की खुशबू दलान की चमक बच्चों के ठहाके, रसोई की खुशबू दलान की चमक
अब, दोनों बोलने लगे और, पड़ोसी ..सुनने लगे अब, दोनों बोलने लगे और, पड़ोसी ..सुनने लगे
जीवन अपने स्वरूप को पहचानने का नाम है। जीवन अपने स्वरूप को पहचानने का नाम है।