सभी विधाओं की चालीस पुस्तकें प्रकाशित, सामाजिक तथा राष्ट्रवादी साहित्यकार, उद्देश्य - सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना
ये भी कभी हरे थे खेत- खलिहान घर-द्वार को संभाले मजबूती से खड़े थे। ये भी कभी हरे थे खेत- खलिहान घर-द्वार को संभाले मजबूती से खड़े थे।
रात-दिन नचा-नचा कर देख रहा जीवन की रेल। रात-दिन नचा-नचा कर देख रहा जीवन की रेल।
आओ मिल के दीप जलाएं मन-तिमिर को दूर भगाएं। आओ मिल के दीप जलाएं मन-तिमिर को दूर भगाएं।
ये चूल्हा माँ का सच्चा साथी कभी नहीं घबराता गर्म-गर्म खाना हमको दिन-रात खिलाता। ये चूल्हा माँ का सच्चा साथी कभी नहीं घबराता गर्म-गर्म खाना हमको दिन-...
ये समय है बीत जायेगा जब अच्छा नहीं रुका तो बुरा कैसे ठहर पायेगा। ये समय है बीत जायेगा जब अच्छा नहीं रुका तो बुरा कैसे ठहर पायेगा।
मन से मन का तार जुड़ेगा नवगीत निर्मित होगा। मन से मन का तार जुड़ेगा नवगीत निर्मित होगा।
नफ़रत के पथ से दूर रहेंगे, तो ही सभ्यता सज पाएगी। नफ़रत के पथ से दूर रहेंगे, तो ही सभ्यता सज पाएगी।
उपकरण स्वच्छ हस्त स्वच्छ, मन की मति गाती भी स्वच्छ। उपकरण स्वच्छ हस्त स्वच्छ, मन की मति गाती भी स्वच्छ।
हाँ! मैं वृक्षों में वृक्ष पीपल हूँ, मैं अश्वत्थ हूँ, मैं देव वृक्ष हूँ। हाँ! मैं वृक्षों में वृक्ष पीपल हूँ, मैं अश्वत्थ हूँ, मैं देव वृक्ष हूँ।
हम अनुशासित थे,अनुशासित हैं अनुशासित ही रहेंगे हम अनुशासित थे,अनुशासित हैं अनुशासित ही रहेंगे