सभी विधाओं की चालीस पुस्तकें प्रकाशित, सामाजिक तथा राष्ट्रवादी साहित्यकार, उद्देश्य - सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना
Share with friendsआओ बोयें स्वप्न प्रेम के नीति-गंगा में नहाएं हम, न रहे कोई भूखा-प्यासा क्षुधा सबकी मिटाएं हम । निशा नंदिनी
जल ही प्रारंभ,मध्य और अंत कहते ज्ञानी-विज्ञानी और संत इसका नहीं है कोई आकार जल ही जीवन का मूलाधार। निशा नंदिनी
अंधकार को क्यों धिक्कारे अच्छा है एक दीप जलाये। कर्मों की अद्भुत ज्योति से अपना जीवन पथ चमकाये। निशा नंदिनी