संपादक, शब्द शिल्पी पत्रिका
जिस दिन तुम्हें ये मंजिलें मिल जायेगी उस दिन तुम्हें मैं भी कहीं याद आऊँगा जिस दिन तुम्हें ये मंजिलें मिल जायेगी उस दिन तुम्हें मैं भी कहीं याद आऊँगा
ख्वाहिशें अपनी जगह हमेशा पूरी हो ही जाती है। ख्वाहिशें अपनी जगह हमेशा पूरी हो ही जाती है।
बेफिक्र होकर बंद पलकें किये, सफर के वो काफिले ही नहीं। बेफिक्र होकर बंद पलकें किये, सफर के वो काफिले ही नहीं।
मां के बिना घर, एक मकान है। मां हर परिवार के लिए बागवान है। मां के बिना घर, एक मकान है। मां हर परिवार के लिए बागवान है।
पिता अगर हैं टोकते, बुरा मानते लोग। जो अनुभव में खरे हैं, दूर करें सब रोग। पिता अगर हैं टोकते, बुरा मानते लोग। जो अनुभव में खरे हैं, दूर करें सब रोग।
एक दांव मानुष चला, प्रकृति चली है दांव। एक दांव मानुष चला, प्रकृति चली है दांव।
मां से बच्चों का साथ है। मां के बिन सब अनाथ हैं। मां से बच्चों का साथ है। मां के बिन सब अनाथ हैं।
जब तक सपने नहीं बुनोगे, सच वो कैसे हो पाएंगे।। जब तक सपने नहीं बुनोगे, सच वो कैसे हो पाएंगे।।
पर हमने उद्देश्यों को मन से साध लिये। पर हमने उद्देश्यों को मन से साध लिये।
यह उत्सव है आज का हिंदी के गुणगान का यह उत्सव है आज का हिंदी के गुणगान का