संपादक, शब्द शिल्पी पत्रिका
Share with friendsकभी उसकी बातें तो कभी खामोशियां अच्छी लगीं। कभी उसकी दूरियां तो कभी आगोशियां अच्छी लगीं। कभी नशे में चूर होकर जिन निगाहों से देखा उसने, कभी तीरे नज़र तो कभी मदहोशियां अच्छी लगीं।
सूरज की गर्मी में तपकर खुद को मजबूत बनाना है। जीवन की हर मंजिल पाकर तिथि त्योहार मनाना है। राहों में निश्चित ही मित्रों कितनी बाधाओं के यक्ष प्रश्न, सही उत्तर ढूंढ कर खुद को बाधाओं से पार लगाना है। अनिल अयान
कितनी हसरत है दिल कि दास्ताँ लिख दूँ, अपने अधूरे से सफर मे एक मकाँ लिख दूँ. कोई छू ले अयान मेरे ठहरे हुए समुंदर को. ऊठी हलचल को मै एक बार जवाँ लिख दूँ.
ये न सोचना कि टूटकर बिखर जाएगी। ये जिंदगी है टूटेगी और निखर जाएगी। यह न सोच कि क्या होगा इस दुनिया में सूरज की तपिश से जिंदगी संवर जाएगी। अनिल अयान