कविता पढ़ना और लिखना अच्छा लगता है |
तुमने क्या सोचा तुमने क्या चाहा ये तुम जानो मैंने तो बस इतना ही चाहा की तू मेरा हो जाए तुमने क्या सोचा तुमने क्या चाहा ये तुम जानो मैंने तो बस इतना ही चाहा की तू मे...
अब वो मुझसे कहता है की मैं आ नहीं सकता अब वो मुझसे कहता है की मैं आ नहीं सकता
फिर किसी गैर पर हम एतबार क्या करते फिर किसी गैर पर हम एतबार क्या करते
जिसे भूल जाना था उसे ही याद करते हैं कुछ इस तरह हम खुद क़ो बर्बाद करते हैं. जिसे भूल जाना था उसे ही याद करते हैं कुछ इस तरह हम खुद क़ो बर्बाद करते हैं.
फिर वही बात वही दिन याद आ रहा हम उस बात को लिखे तो लिखे कैसे फिर वही बात वही दिन याद आ रहा हम उस बात को लिखे तो लिखे कैसे
उस नज़र के बाद हम किसी नज़र के ना रहें। उस नज़र के बाद हम किसी नज़र के ना रहें।
दिल चाहता है कितना उसे बताया भी नहीं जा सकता। दिल चाहता है कितना उसे बताया भी नहीं जा सकता।
हम थक हार कर वापस अपने शहर जाते हैं। हम थक हार कर वापस अपने शहर जाते हैं।
तेरे बाद भी तेरे साथ वक़्त गुज़ारा करते हैं रोज़ सोचते हैं तुम्हें रोज़ पुकारा करते हैं। तेरे बाद भी तेरे साथ वक़्त गुज़ारा करते हैं रोज़ सोचते हैं तुम्हें रोज़ पुकारा कर...
झूठ फैला तो फैलता ही चला गया सच जितना कभी सिमटा कोई नहीं झूठ फैला तो फैलता ही चला गया सच जितना कभी सिमटा कोई नहीं