उलझे हुए धाँगों की सीधी डोर हूँ।
और हो जाए उसकी दिहाड़ी, ज्यादा नहीं मिला तो वह गुड़ खा कर ही पी लेता है पानी। और हो जाए उसकी दिहाड़ी, ज्यादा नहीं मिला तो वह गुड़ खा कर ही पी लेता है पानी।
जो घुट गई थी लिफाफों की सील में, अब सार्थक भी हो उनकी हर दुआ। जो घुट गई थी लिफाफों की सील में, अब सार्थक भी हो उनकी हर दुआ।
मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां, मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां,
आज तुम्हें पूजने का भी ढोंग रचायेंगें, स्त्रियां देवी रूप हैं कहकर, महफिलों में ताली आज तुम्हें पूजने का भी ढोंग रचायेंगें, स्त्रियां देवी रूप हैं कहकर, महफिलों...
कौन से दौर की बात है, है कौन से जिले की बात? कौन से दौर की बात है, है कौन से जिले की बात?
घर के आँगन में मुसाफिर सा हूँ, नाराज मुझसे मेरे ही आशियाने की चारपाई है। घर के आँगन में मुसाफिर सा हूँ, नाराज मुझसे मेरे ही आशियाने की चारपाई है।
मैं हो भी जाती हूँ शिथिल कभी-कभी, पर उनकी स्फूर्ति बिछा देती है! मैं हो भी जाती हूँ शिथिल कभी-कभी, पर उनकी स्फूर्ति बिछा देती है!
बात शीतल हवा की नहीं रात तूफानी की है सुनो सुनो यह मेरे भग्न होने की कहानी है। बात शीतल हवा की नहीं रात तूफानी की है सुनो सुनो यह मेरे भग्न होने की कहानी ह...
मैं बनी पूनम, तो वो चाँद सा बाँहों में उतरा, अमावस की काली रात में भी, चंदन सा जकड़ा। मैं बनी पूनम, तो वो चाँद सा बाँहों में उतरा, अमावस की काली रात में भी, चंदन ...
फुदकती चहकती रहती है एक डाल से दूसरी डाल. फुदकती चहकती रहती है एक डाल से दूसरी डाल.