69pritisharma@gmail.com प्रीति शर्मा"पूर्णिमा" हिन्दी प्राध्यापिका करनाल, हरियाणा। योग्यता-एम.ए, बी. एड.,एल एल बी। प्रतिलिपि, स्टोरीमिरर के अलावा बहुत से साहित्यिक मंचों पर लेखन और सम्मानित। गद्य पद्य दोनों विधाओं में लेखन।
मजहब की लेकर के आड़़ इन्सानियत का कर देते हैं खून। मजहब की लेकर के आड़़ इन्सानियत का कर देते हैं खून।
ये जिंदगी की किताब है, हर रोज छपती जाती है। ये जिंदगी की किताब है, हर रोज छपती जाती है।
किसी ने भावों पर मार दिया कुठारा है।। खेल खेलना सभी को दुनिया में प्यारा है... किसी ने भावों पर मार दिया कुठारा है।। खेल खेलना सभी को दुनिया में प्यारा है....
ऋषि-मुनियों की, राजा और रानियों की देवी-देवताओं, दैत्य-दानव और अप्सराओं की ऋषि-मुनियों की, राजा और रानियों की देवी-देवताओं, दैत्य-दानव और अप्सराओं की
संकल्पित कर्मवेदी पर चलकर लक्ष्य को हासिल वो करके रहते।। संकल्पित कर्मवेदी पर चलकर लक्ष्य को हासिल वो करके रहते।।
इश्क़ का रंग चढ गया हम पर दिल मेरा बेहिसाब महका है।। इश्क़ का रंग चढ गया हम पर दिल मेरा बेहिसाब महका है।।
आज हुआ वो मेरा, जो था मेरा मिट गई दूरियां, सच-सपने में थीं।। आज हुआ वो मेरा, जो था मेरा मिट गई दूरियां, सच-सपने में थीं।।
कन्या विवाह हो गया,मात-पिता खुश होय। मन में लिये उमंग वो,सपनों में रत होय।। कन्या विवाह हो गया,मात-पिता खुश होय। मन में लिये उमंग वो,सपनों में रत होय।।
मिले सफलता,श्रम है फलता, सपनों को सच जरूर करें। मिले सफलता,श्रम है फलता, सपनों को सच जरूर करें।
राजनीति भी तो नहीं रही राजनीति नीति शब्द कब का मर चुका। राजनीति भी तो नहीं रही राजनीति नीति शब्द कब का मर चुका।