कवयित्री,लेखिका,विद्यावाचस्पति से सम्मानित।
फिर भी जाने क्यूँ हिन्दी को, बिसराया भारत जन ने। फिर भी जाने क्यूँ हिन्दी को, बिसराया भारत जन ने।
दुख का आता एक मोड़, सुख जब जाता हाथ छोड़। दुख का आता एक मोड़, सुख जब जाता हाथ छोड़।
सत्य सनातन धर्म यही, दुख दोष सभी जग के हर लें सत्य सनातन धर्म यही, दुख दोष सभी जग के हर लें
बसते हैं भगवान जहाँ खुद, उनके घर यह आती है। पालन पोषण सर्वोत्तम वह, जिनके हाथों पाती हैं बसते हैं भगवान जहाँ खुद, उनके घर यह आती है। पालन पोषण सर्वोत्तम वह, जिनके हाथों...
हैं साहित्य सृजन धर्मी हम, कलम हमारी गीता है। हैं साहित्य सृजन धर्मी हम, कलम हमारी गीता है।
जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ। जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ।
स्वर्ण पदक की बौछारों से,भारत माता हर्षायी। ब्रह्मपुत्र की बेटी हिमा,परचम लहराकर आयी। स्वर्ण पदक की बौछारों से,भारत माता हर्षायी। ब्रह्मपुत्र की बेटी हिमा,परचम लहर...
दूर गगन से देखा, मैंने आज, सभी सितारे नीचे, गाये साज! दूर गगन से देखा, मैंने आज, सभी सितारे नीचे, गाये साज!
नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।। नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।।
किसी हारे हुए का तुम सहारा बन चले आओ। किसी हारे हुए का तुम सहारा बन चले आओ।