Hindi Poem Writer !
चंद्र किरण सा शीतल कभी नैसर्गिक महकी हवा है चंद्र किरण सा शीतल कभी नैसर्गिक महकी हवा है
प्रकृति का सौंदर्य इसमें पर्वतों का आह्वान है. प्रकृति का सौंदर्य इसमें पर्वतों का आह्वान है.
माँगी दुआएँ मस्तक झुकाया ली ईश्वर की पनाह। माँगी दुआएँ मस्तक झुकाया ली ईश्वर की पनाह।
दिव्य हिमालय जिसकी शान जग में सबसे अनूठा हिंदुस्तान दिव्य हिमालय जिसकी शान जग में सबसे अनूठा हिंदुस्तान
नहीं दिल रहा अब वश में हमारे कि हम ग़ैर के हो गए हैं॥ नहीं दिल रहा अब वश में हमारे कि हम ग़ैर के हो गए हैं॥
तुम महलों की उड़ती तितली मैं लघु कुटिया का भँवरा प्रिये, तुम महलों की उड़ती तितली मैं लघु कुटिया का भँवरा प्रिये,
तुम निकलती जब भोर उजाले हो जाता मैं ओझल प्रिये ! तुम निकलती जब भोर उजाले हो जाता मैं ओझल प्रिये !
घर की किवाड़ से उसने जो निहारा मैंने दिल के दरवाज़े खोल दिए। घर की किवाड़ से उसने जो निहारा मैंने दिल के दरवाज़े खोल दिए।
तुम्हारे डगमगाते कदमों का विश्वास हूँ अकारण गतिशीलता में ठहराव हूँ तुम्हारे डगमगाते कदमों का विश्वास हूँ अकारण गतिशीलता में ठहराव हूँ
सूर्य किरण की आभा अब नव सवेरा लाए आओ, हर घर तिरंगा लहराए । सूर्य किरण की आभा अब नव सवेरा लाए आओ, हर घर तिरंगा लहराए ।