Sudhir Badola
Literary Captain
48
Posts
0
Followers
0
Following

Hindi Poem Writer !

Share with friends

सिर्फ़ जादुई करतब से ही नहीं बल्कि उधार देकर भी इंसान को अदृश्य किया जा सकता है -सुधीर बडोला

तुमने आने का ज़िक्र किया वक्त मानो थम सा गया जो तुमने जाने की बात कही समय तेजी में बहने लगा सुधीर बडोला

सत्य वास्तविक और तात्कालिक होता है झूठ स्वरचित और सुनियोजित होता है -सुधीर बडोला

कभी धुएँ उड़ते हैं कभी हाथ मिलते हैं सुबह चाय पर जब वो साथ मिलते हैं -सुधीर बडोला

मधुर वाणी से तुम हवा में इत्र घोल दो अधरों से छूटे शब्दों में ग़ज़ब की महक होती है -सुधीर बडोला

मैं उन्हें जीवन का संघर्ष सुना रहा था वो कहानी समझ उबासी ले रहे थे -सुधीर बडोला

चेहरे पर रख हल्की मुस्कान वो उदासी को छुपाते आया पिता की महीन अदाकारी को परिवार भी नहीं समझ पाया -सुधीर बडोला

बदले रिश्ते सारे अपने जेब हुई जब ख़ाली नहीं बदली फ़ितरत जिसकी वो चाय की प्याली -सुधीर बडोला

जाने क्यूँ हर मुहब्बत फीकी सी लगती मुझे इस तिरंगे के आगे… -सुधीर बडोला


Feed

Library

Write

Notification
Profile