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Bindiya rani Thakur

Children Stories

4.7  

Bindiya rani Thakur

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दशहरे में ढोलकपुर की सैर

दशहरे में ढोलकपुर की सैर

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मेरा नाम अलबेली है, बाकी बच्चों के जैसे मुझे भी घूमना-फिरना और तरह-तरह की मिठाईयाँ खाना मुझे बहुत पसंद हैं। खासकर लड्डू तो मेरे पसंदीदा हैं, और जब वो टुनटुन मौसी के हाथ के बने हों तब तो उसका स्वाद और भी बढ़ जाता है, अरे हाँ मैं तो बताना ही भूल गई टुनटुन मौसी मेरी माँ की बड़ी बहन हैं और वे ढोलकपुर में रहती हैं, अपनी बेटी चुटकी के साथ! मौसी की मिठाईयों की दुकान भी है।हमलोग बोटकपुर में रहते हैं, दोनों गाँव पड़ोसी हैं, लेकिन पढ़ाई के वजह से मौसी के यहाँ कम ही जा पाती हूँ ।ढोलकपुर का दशहरा मशहूर है मैंने माँ से कहा कि इसबार दशहरे में मौसीजी के यहाँ ढोलकपुर चलते हैं,मौसी और चुटकी की बहुत याद आ रही है, माँ ने मेरी बात मान ली।

अगली सुबह मैं अपने छोटे भाई आकाश और माँ के संग बस द्वारा ढोलकपुर के लिए निकल पड़े,बाबूजी और दादा- दादी घर पर ही रूक गए।

ढोलकपुर पहुँच कर हम सीधे टुनटुन मौसी की दुकान पर गए क्योंकि हमें पता है कि त्यौहार का समय है तो मौसी और चुटकी वहीं होंगे। मैंने चटपट मौसी को प्रणाम किया। माँ और मौसी झट से गले लग गईं, टुनटुन मौसी ने कहा,"अच्छा किया मुनमुन जो बच्चों को ले आई बहुत दिनों से मिलने का मन था लेकिन आजकल दुकान में काम बहुत बढ़ गया है तो जा नहीं पाई।"

चुटकी भी हमें देखकर बहुत खुश हुई, टुनटुन मौसी ने हमें लड्डू खाने को दिए। खा-पीकर हम चुटकी के साथ गांव की सैर पर निकल पड़े। थोड़ी दूर जाते ही हमें छोटा भीम मिला,वह चुटकी का सबसे अच्छा दोस्त है। छोटा भीम बहुत ही बहादुर है, कैसी भी कठिन परिस्थिति में वह हल निकाल लेता है। इसी वजह से ढोलकपुर के महाराज इन्द्रवर्मा उसे बहुत मानते हैं।छोटा भीम मुझे छोटी बहन मानता है।

राजू और जग्गू बंदर भी हमारे साथ हो लिए तभी कालिया और ढोलू-भोलू आ गए।हम सब रावण-दहन देखने के लिए दशहरे के मैदान में चले।सारा गाँव वहीं इकट्ठा था,महाराज इन्द्रवर्मा और राजकुमारी इन्दुमती भी आए हुए थे। 

हमने महाराज का आशीर्वाद लिया,महाराज ने छोटा भीम से रावण-दहन करने का अनुरोध किया। मैदान में रावण का एक बड़ा सा पुतला बनाया गया था।भीम ने एक जलते हुए तीर से रावण के पुतले को निशाना बनाया, देखते ही देखते पुतला जलने लगा तभी मैंने देखा मेरा छोटा भाई आकाश मेरे पास नहीं है, मैंने उसे इधर-उधर ढूंढना शुरू कर दिया। लेकिन वह मुझे दिखाई ही नहीं दे रहा था।मैंने चुटकी ,राजू ,भीम सबसे पूछा लेकिन वह किसी को भी नहीं मिल रहा था,तभी मेरी नजर रावण के पुतले की ओर गई, आकाश उस जलते हुए पुतले के ठीक नीचे खड़ा था मैंने घबराहट में रोना शुरू कर दिया। ठीक उसी समय छोटा भीम बिना किसी परवाह के आग के पास चला गया और बिजली की फुर्ती से उसने आकाश को गोद में उठा लिया।चुटकी ने उसे लड्डू दिया जिसे भीम ने हवा में ही लपक लिया। सारा गाँव भीम की बहादुरी और साहस के लिए शाबासी दे रहा था। महाराज इन्द्र वर्मा ने भी भीम की बहुत तारीफ की।

तभी सामने से माँ और टुनटुन मौसी आतीं हुईं दिखीं, माँ ने आकाश को झट से गले से लगा लिया और भीम को बहुत सारा धन्यवाद और आशीर्वाद दिया।

अगली सुबह की बस से हम अपने घर वापस आ गए। इस घटना के बाद छोटा भीम मेरा और भी गहरा दोस्त बन गया। 



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