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Shilpa Jain

Others Romance

3.8  

Shilpa Jain

Others Romance

बातें कुछ अनकही सी

बातें कुछ अनकही सी

8 mins
871


सौम्या अपने नाम की तरह ही थी, शांत, निश्छल। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल। किताबों से तो उसकी गहरी दोस्ती थी, जब देखो वो किताबों में ही खोई रहती थी, चाहे वो किस्से कहानियों की ही क्यों न हो। स्कूल में हमेशा टॉपर रही, स्कूल खत्म हुआ वो कॉलेज में आ गयी। धीरे धीरे उसे लगने लगा कि किताबों से तो उसकी दोस्ती है मगर क्या कोई सच मे भी उसका सच्चा दोस्त है, कहने को तो उसके भी कई दोस्त थे, पर सही मायने में वो दोस्त कम क्लासमेट ज्यादा थे। जब भी कोई जरूरत होती उन्हें सौम्या याद आती। धीरे धीरे सौम्या को ये कमी महसूस होने लगी उसे लगा काश उसका भी कोई सच्चा दोस्त होता। एक दिन सौम्या नेट सर्फिंग कर रही थी उसके फेसबुक पर किसी की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी, सौम्या ने प्रोफाइल चेक की, बहुत ही सिंपल प्रोफाइल थी, उसका नाम था रजत।

रजत चेन्नई से था और सौम्या इंदौर में रहती थी, सौम्या ने रिक्वेस्ट accept कर ली। कुछ ही देर में उसके inbox में एक मैसेज आया, ये रजत का मैसेज था, वो maths ओलम्पियाड के बारे में बात कर रहा था, जिसमे पिछले दिनों ही सौम्या ने state level पर first रैंक हासिल की थी। दोनो काफी देर बातें करते रहे। सौम्या को भी वो लड़का अच्छा लगा।

उसके बाद कई दिनों तक दोनों इंटरनेट पर chat करते रहे, रजत भी सौम्या की तरह एक कम बोलने वाला सीधा सा लड़का था, असल मे रजत को सौम्या की प्रोफाइल अच्छी लगी थी इसीलिये उसने रिक्वेस्ट भेजी थी, पर औऱ लड़को की तरह उसे फ़्लर्ट करना नही आता था, तो उसने सौम्या से मैथ्स ओलम्पियाड के बहाने बात की।

दोनो की सोच एक जैसी थी, दोनो को किताबें पढ़ने का शौक़ था, बहुत बातें दोनो में कॉमन थी इसीलिए दोनो एक दूसरे की कंपनी एन्जॉय करते थे। सौम्या खुश थी कि चलो उसको कोई तो मिला जिससे वो अपनी बातें शेयर कर सकती है। पता नही क्या बात थी कि दोनों को कभी लगा ही नही कि वो अभी दोस्त बने है, ऐसा लगता था दोनो की दोस्ती बरसों पुरानी है।

रजत आगे की पढ़ाई के लिए US चला गया, पर सौम्या से उसकी बातचीत चलती रही। सौम्या ने भी एक प्राइवेट बैंक में जॉब शुरू कर दी। रजत बहुत ही अच्छा गिटार बजाता था पर उसके घरवालों को ये पसंद नही था कि वो पढ़ाई के अलावा किसी ओर चीज़ पर भी ध्यान दे, उसके पापा बहुत ही स्ट्रिक्ट थे, ज्यादा मेलजोल करना उन्हें बिल्कुल पसंद नही था, ये भी वजह थी कि रजत कभी लोगो से घुलमिल नही पाया था।

सौम्या उसे प्रोत्साहित करती, वो भी नई धुन बजा कर सौम्या को सुनाता। 2 साल हो गए और उनकी दोस्ती और भी गहरी होती गयी।

एक दिन सौम्या के चाचाजी सौम्या के लिए एक रिश्ता ले कर आये, लड़का इंजीनियर था और नोएडा में एक multinational company में काम करता था। चाचाजी और विवेक के पिताजी दोस्त थे। शाम को जब सौम्या आँफिस से आयी। वो खाना खा रही थी कि माँ ने कहा

'सोमू,सुन कल तू ऑफिस से छुट्टी ले ले।' 'क्यों माँ, क्या है कल?' सौम्या ने पूछा।

'वो कल एक लड़का आ रहा है,तुझे देखने। चाचाजी का जाना पहचाना परिवार है, भले घर के है, लड़का भी अच्छा है।' माँ ने बताया

'पर माँ, अचानक ऐसे कैसे? आपने पहले कुछ बताया नही?' सौम्या ने कहा।

'अरे तेरे चाचाजी रिश्ता लाये है, भले घर का है, पापा ने भी पूछताछ कर ली, आज नही तो कल तेरी शादी करनी ही है। चल सो जा, कल आँफिस में फ़ोन कर के मना कर देना।

सौम्या कशमकश में थी, अभी तो उसने शादी के बारे में सोचा भी नही था।

अगले दिन विवेक के घर वाले सौम्या को देखने आए। विवेक को सौम्या पसंद आ गयी। घर मे सब खुश थे, दादाजी, पापा औऱ माँ। सौम्या को कुछ समझ ही नही आ रहा था। उसने विवेक से बात की और बातचीत में उसे वो ठीक लगा, कुछ था जो उसके मन मे खटक रहा था। ऐसा कोई कारण भी नही था जिसकी वजह से वो विवेक को मना करे। घरवालों की खुशी देख उसने भी हाँ में अपनी सहमति दे दी।

शाम को रजत का फ़ोन आया। रजत ने पूछा 'क्या हुआ मैडम कहाँ बिजी हो, 2 दिन से तुमने न फ़ोन उठाया, न कोई मैसेज, सब ठीक है ना'

हाँ, I am fine, थोड़ा बिजी थी, वो....वो कल लड़के वाले आये थे, देखने के लिये, मेरी सगाई पक्की हो गयी है।' सौम्या ने कहा

रजत को थोड़ा झटका सा लगा पर उसने संभलते हुऐ कहा 'अरे congrats, पर तुमने कुछ बताया नही पहले'

'वो मेरे चाचाजी के जान पहचान के थे, तो सब कुछ जल्दी ही फाइनल हो गया। विवेक नाम है लड़के का, नोएडा में जॉब करता है।'-सौम्या ने कहा

'Ok, मेरी तरफ से विवेक को भी बधाई देना, चलो मेरा एक प्रोजेक्ट बाकी है, talk to you later, Bye' रजत ने फ़ोन रखते हुए कहा।

रजत को थोड़ा अजीब सा लग रहा था, बातों ही बातों में कब वो सौम्या को चाहने लगा था, उसे पता ही नही चला।

पराये देश मे रहकर भी उसे वो ही अपने सबसे करीब लगती थी। उसका मन हुआ वो एक बार सौम्या को अपने दिल की बात बता दे, पर एक दोस्त के खो जाने के डर से रजत वो हिम्मत भी नही जुटा पाया।

सौम्या विवेक से जब भी मिली, उसे लगा वो और विवेक बिल्कुल अलग है, जहाँ विवेक को मेट्रो सिटी की भागदौड़ वाली लाइफ पसंद थी, सौम्या को अपने छोटे से शहर में सुकून मिलता था, विवेक को पार्टी करना, आउटिंग्स का शौक़ था, वही सौम्या शोर शराबे से दूर रहने वाली थी। दोनो में ज्यादा कॉमन चीज़े नही थी। पर शायद अरेंज मैरिज में ऐसा ही होता है, साथ रहते रहते दोनो एक दूसरे को समझ जाएंगे। कई बार वो सोचती विवेक रजत जैसा क्यों नही है?

कई बार उसे लगा भी वो ऐसा क्यों सोच रही है, पर जाने अनजाने वो उनके दिमाग मे आ ही जाता। रजत से उसकी बात होती पर एक झिझक सी आ गयी थी उनके दोस्ती के इस रिश्ते में। धीरे धीरे दोनो के बीच एक खामोशी सी आ गयी थी

'तुम आ रहे हो न मेरी शादी में?- सौम्या ने पूछा

वो, मैं ज़रूर आता पर मुझे एक प्रोजेक्ट के लिए पेरिस जाना है, वरना मैं ज़रूर आता रजत ने कहा

'अच्छा, ठीक है तुम कोशिश ज़रूर करना।'- सौम्या ने कहा

जैसे जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे थे, सौम्या की घबराहट बढ़ रही थी

शादी हुई, शादी के बाद विवेक का ट्रांसफर मुम्बई हो गया। सौम्या विवेक के साथ मुम्बई आ गयी। नई जगह, नए लोग, नया घर सौम्या ने सबके साथ तालमेल बिठाने की कोशिश की, पर पता नही क्यों, वो अपने आप को अकेला पाती। विवेक के साथ जब भी वो पार्टी में जाती, उस माहौल में उसका जी घबराता। विवेक ने उसे कहा कि थोड़े दिन में तुम इस माहौल में रम जाओगी, पर पता नही क्यों ये हाई सोसाइटी पार्टीज, ये किट्टी क्लब उसे समझ ही नही आते

हारकर विवेक ने उसे कहना ही छोड़ दिया। पूरे हफ्ते वो आँफिस में बिजी रहता और वीकएंड पर दोस्तों के साथ पार्टी करने में बिजी रहता। दिन गुजरते गए। सौम्या को कई बार ऐसे लगता जैसे एक ही घर मे दो अजनबी रह रहे है। दोनो नदी के दो छोर की तरह हो गए थे जो साथ रहते है पर मिलते नही। Maths की equations में माहिर सौम्या को जिंदगी की ये equation समझ नही आ रही थी। ऐसा नही की उसने अपने आपको ढालने की कोशिश नही की पर उसे लगता ये वो नही है, इसी दौरान उसकी जिंदगी में आन्या आयी, आन्या के होने के बाद उसकी सारी जिंदगी उसी के इर्द गिर्द घूमने लगी। दुनिया की नज़रों में सब कुछ था उसके पास पर न जाने कोई तो अधूरापन था। शायद आन्या ही वो कड़ी थी जो विवेक और उसका रिश्ता बंधे हुए थी।

आन्या को स्कूल छोड़ने के बाद पास के ही कॉफ़ी शॉप में वो काफी पीने गयी, वो कॉफी पी रही थी कि अचानक उसके कंधे पर किसी ने थपथपाया।

'रजत, तुम यहाँ?- सौम्या ने लगभग चौकते हुए कहा।

हाँ,मेरी मीटिंग है मुम्बई में,और तुम?- रजत ने कहा

'हाँ शादी के बाद हम मुम्बई शिफ्ट हो गए। बैठौ।'- सौम्या ने बैठने का इशारा करते हुए कहा।

'And how is life? विवेक के क्या हाल है, अकेले बैठी हो, किसी का इंतज़ार कर रही हो?'- रजत ने बैठते हुए एक साथ कई सवाल कर दिए।

'विवेक अच्छा है,यही पास में मेरी बेटी का स्कूल है, उसे छोड़ने स्कूल गयी थी, तो यहाँ आ गयी।- सौम्या ने कहा

'आन्या नाम है ना उसका, बहुत सुंदर है बिल्कुल तुम्हारी तरह। - रजत ने मुस्कुराते हुए कहा।

'तुम्हे कैसे पता?' सौम्या ने पूछा

रजत कैसे जवाब देता, भले ही वो उसकी जिंदगी से चला गया था, पर फिर भी वो इंटरनेट के जरिये उसकी खबर रखता था।

'बस पता है।' रजत ने उसी तरह मुस्कुरा कर कहा।

कहाँ चले गए थे तुम, कितना तलाशा मैंने तुम्हें, मेरा सबसे खास दोस्त यू अचानक से क्यों मेरी जिंदगी से चला गया। तुम्हें पता है, कोई नही था मेरे पास जिससे मैं अपने सुख दुख बाँटती,जवाब दो? कितने मैसेज किये, कितना फ़ोन try किया पर तुमने तो number ही बदल दिया, एक बार बताया भी नही। सौम्या ये सब पूछना चाहती थी, मगर पूछ नही पायी।

'घर मे सब कैसे है? अंकल आंटी, औऱ... तुम्हारी वाइफ?' - सौम्या ने वाइफ शब्द पर थोड़ा ज़ोर डालते हुए पूछा।

'सब ठीक है, बाकी वाइफ का पता नही।'- रजत ने मुस्कुराते हुए कहा।

'क्यों? - सौम्या ने पूछा

'जो है ही नही, उसका कैसे पता चलेगा'- रजत ने कहा

' क्या तुमने अब तक शादी नही की? अब ये मत कहना कि इन 8 सालों में तुम्हें कोई पसंद नही आयी।' - सौम्या ने कहा

' पसंद आई थी ना, 8 साल पहले, पर जब तक उसको कहने की हिम्मत जुटा पाता कोई और ही उसे ले गया'- रजत ने सौम्या की आंखों में आंखे डालते हुए कहा।

'क्य....क्या?'- सौम्या थोड़ा अचकचा गयी।

सौम्या का गंभीर चेहरा देख रजत ने खिलखिलाते हुए कहा- 'अरे भई, मज़ाक कर रहा था, चलो मैं चलता हूँ , मीटिंग के लिए देर हो रही है।' इतना कह कर रजत सीधे निकल गया। अब उसमें इतनी हिम्मत नही थी कि वो सौम्या की आंखों में आंखे डाल और बात कर सके। सौम्या कुछ और नही बोल पायी,उसे जाते देख कर सोच रही थी, काश ये मज़ाक न होता। ये सोच कर सौम्या की आंखों से एक आँसू बह चला। जाते हुए रजत सोच रहा था, काश ये बात उसने 8 साल पहले बोलने की हिम्मत जुटायी होती। क्यों मैंने एक बार भी कहा नही? क्यों?


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