Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Kumar Vikrant

Others

4  

Kumar Vikrant

Others

प्रेत बाधा (ब्योमकेश बख्सी)

प्रेत बाधा (ब्योमकेश बख्सी)

4 mins
324


"ब्योमकेश बाबू, मैं बहुत परेशान हूँ मेरा भाई झपट प्रसाद उर्फ़ जे. पी फिल्म में खलनायक का रोल करता था, लेकिन फिल्म, 'कसम शैतान की,' में काम करते-करते प्रेत बाधा का शिकार हो गया है, जब भी प्रेत का साया उस पर हावी होता है वो अपने सामने पड़ने वाले व्यक्तियों को उठा कर जमीन पर पटक देता है, इस चक्कर में कई लोग घायल होकर अस्पताल में पड़े है। झाड़-फूक सब करवा चुके है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। किसी ने बताया था आप प्रेत बाधा वाली समस्याओ को भी सुलझा देते है, इसलिए सब और से हारकर आपकी शरण में आया हूँ।" सवा कुंतल का ढक्कन प्रसाद उर्फ़ डिप्पी गंभीर मुद्रा में बोला।

"क्या पहले कभी ऐसा हुआ है?" ब्योमकेश बख्सी ने पूछा।

"जे. पी. कैमस्ट्री से डॉक्टरेट कर चुका है, वो प्रेत इत्यादि को अंधविश्वास के अतिरिक्त ज्यादा कुछ नहीं समझता है, उसके साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।" डिप्पी ने जवाब दिया।

"क्या उसका ब्लड भी टेस्ट कराया गया था.......?" ब्योमकेश ने पूछा।

"कराया था, लेकिन कुछ नहीं मिला था......." डिप्पी ने जवाब दिया।

"डिप्पी, जे. पी. की शादी हुई है?" ब्योमकेश ने पूछा।

"देविका जी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में है वो, यह प्रेतबाधा आने से पहले दोनों विल सिटी में साथ रहते थे........" डिप्पी ने जवाब दिया।

"यह वही देविका है न जो पहले भी कई स्टार्स के साथ लिव इन रिलेशन में रही है?" ब्योमकेश बोला।

"फिल्मी लोग है, ये तो आम बात है इनके लिए........" डिप्पी सिर झुकाकर बोला।

"आओ एक बार जे. पी. को देख लेते है।" ब्योमकेश खड़े होते हुआ बोला।

 

जे. पी. हर प्रकार से तगड़ा आदमी था, उसे एक कमरे में बंद किया गया था। उसकी आँखे लाल थी और वो पलक बिलकुल नहीं झपक रहा था, वो उस कमरे लगातार टहल रहा था और उसके मुँह से भयानक गुर्राहट निकल रही थी। ब्योमकेश उसे लगातार देखता रहा और फिर बोला, "मुझे इसके पास जाना है, कमरे का दरवाजा खोलो।"

"क्या मरना चाहते हो बाबू?" डिप्पी बोला।

"देखा जायेगा तुम दरवाजा खोलो।" ब्योमकेश सतर्कता से जे. पी. की तरफ देखते हुए बोला।

"मै आपको इस कमरे में जे. पी. के साथ बंद कर दूँगा; उसके बाद आप जानो।" डिप्पी दरवाजा खोलते हुए बोला।

जैसे ही ब्योमकेश उस कमरे में गया जे. पी. उस पर झपटा। ब्योमकेश तब तक अपने हाथ में एक भरी हुई सिरिंज निकाल चुका था, उसने खुद को बचाते हुए उस सिरिंज की सुई जे. पी. के कंधे में ठूस दी। जे. पी. दर्द से जानवर की तरह दहाड़ा और ब्योमकेश पर झपटा। दो मिनट तक ब्योमकेश जे. पी. से बचता रहा, अब जे. पी. इंजेक्शन की दवा नशे में झूम रहा था, थोड़ी देर बाद जे. पी. अचेत होकर गिर पड़ा।

ब्योमकेश बख्सी ने उसकी आँखे खोल कर देखी फिर कुछ सोचकर एक खाली सिरिंज निकाल कर उसकी सुई जे. पी. की बाँह में लगाकर उसका खून उस सिरिंज में भरकर डिप्पी को दरवाजा खोलने का इशारा किया।

दो दिन बाद 

"तुम्हारे भाई के ब्लड में लेड मिला है जो खतरनाक धीमा जहर है, ब्लड में इसकी मात्रा इस प्रकार बढ़ी हुई थी कि आसानी से डिटेक्ट न हो। ये धीमा जहर जे. पी. को मारने के लिए दिया जा रहा था; लेकिन ये जहर इसको मारने के बजाय इसे हिंसक बना गया। जे. पी. को इलाज की सख्त जरूरत है; यदि प्रेत-बाधा के चक्कर में रहे तो वो मारा जाएगा।" ब्योमकेश बख्सी ने डिप्पी को बताया।

"लेकिन ऐसा कोई क्यों करेगा?" डिप्पी ने आश्चर्य से पूछा।

"वही जिसे जे. पी. की मौत से फायदा हो; जे. पी. ने साल भर पहले पच्चीस करोड़ की इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी, जिसकी नॉमिनी देविका है........."

"तुम्हे ये सब कहाँ से पता लगा?" डिप्पी ने पूछा।

"जे. पी. के ब्लड में लेड मिलने के बाद मुझे किसी षड्यंत्र की बू आई तब मै जे. पी. के चार्टेड अकॉउंटेंट से मिला, उसी से मुझे इंश्योरेंस पॉलिसी और जे. पी. की फायनेंशियल हालात की खबर मिली, उसके बाद सब क्लियर था कि क्यों हुआ कैसे हुआ।" ब्योमकेश बख्सी ने जवाब दिया।

"देविका ऐसा क्यों करेगी, क्या मिलेगा उसे अपने पति को मारकर?" डिप्पी ने पूछा।

"देविका ने जे. पी. की दौलत के लिए उससे शादी की थी, लेकिन जे. पी. एक जुआरी है; वो अपनी दौलत जुए में लुटा चुका था। तभी जे. पी. ने पच्चीस करोड़ की इंश्योरेंस पॉलिसी ली और देविका को नॉमिनी बनाया तो मौत का यह भयानक खेल शुरू हुआ। खेल देविका ही खेल रही है क्योकि पॉलिसी एजेंट समीर उसका एक्स बॉयफ्रेंड है। लेकिन ये सब सिर्फ तथ्य है जिनके जरिये यह सिद्ध करना मुश्किल है कि ये जहर देविका जे. पी. को दे रही थी। फ़िलहाल जे. पी. का इलाज कराओ, ठीक होने के बाद जे. पी. देविका के विषय में स्वयं निर्णय ले सकता है।" ब्योमकेश ने जवाब दिया।

"आपका मेहनताना......." डिप्पी बोला।

"रहने दो, ये केश सुलझ कर भी अनसुलझा है......" कहकर ब्योमकेश अपने काम में उलझ गया।


Rate this content
Log in