किताआत
किताआत
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सूरत से छलकती हुई मासूम जवान,
आँखों में छलकती हुई रंगीन कहानी।
नज़रों से नहीं हटता ये पुरनूर नज़ारा,
साँसों में धड़कती हुई मौजों सी रवानी।
यादों मे सदा तुम ही मेरे पास रहे हो,
धड़कन में बसा तुम मेरा एहसास रहे हो।
ख्वाबो में जो आये सताने हमें मासूम,
लगता मेरी हस्ती के लिये खास रहे हो।
कितना रंगी है नज़ारा दूर का,
रुप ने धरा है ये रुतबा हूर का।
लग रहे हैं आज वो इतने हसीं,
छा गया आँखों में जलवा नूर का।
सुर्ख होठों की बढ़ी कुछ प्यास है,
उनको तनहा ही मनाना रास है।
क्या बताएं चाहतों की तीश्नगी,
जीनसे मिलने की हमारी आस है।