क्यों ?
क्यों ?
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ऐसा वैसा नहीं है कुछ तो
मन को भारी क्यों करता है ?
बोल दे दो खुले दिल से
बात जुबां पर क्यों रोकता है ?
है मन तेरा सच्चा तो
अपने आप से क्यों लड़ता है ?
हो जाती है सबकी नैया पार
यूं लहरोंसे क्यों डरता है ?
जन्म लेते वक्त बंद मुट्ठी
खोलने से क्यों घबराता है ?
हाथों में बस होती लकीरे
नसीब को क्यों कोसता है ?
आंखों की नमी को यूं
सारे जहाँ से क्यों छुपाता है ?
बुँदो से ही बनता सागर
हाथों में क्यों समेटता है ?