शीर्षकहीन रचना
शीर्षकहीन रचना
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कौन है रावण?
कैसा है देखने में?
दस सिर तो कहीं नज़र नहीं आते
ना ही इतना संयम
कि वाटिका में सीता हो
और वह उसके पास न जाये!
कहाँ है वह रावण
जिसने अपहरण तो किया
परन्तु मर्यादा का उलंघन नहीं किया
कहाँ है वह रावण
जिससे राम ने भी ज्ञान लिया?
हर कथा को तमाशा बना दिया लोगों ने
एक पुतला खड़ा किया
जलाया…
और सीताओं की बलि चढ़ा दी!
रामायण,
राम को दोहराने से क्या रामराज्य आ जाता है
कैकेयी की भर्त्सना क्यूँ?
किसके भीतर मंथरा और कैकेयी नहीं
कौन नहीं देना चाहता राम को वनवास
यानी घर निकाला?
लांछन लगानेवाली उंगलियाँ
हर घर, चौराहे, नुक्क्ड़ पर है
सच पूछो तो वह राम कहीं नहीं
जो बड़े से बड़ा यज्ञ पत्नी की प्रतिमा संग करे
रावण का संहार करे
साथ ही उसकी विद्वता का सम्मान करे…
रामलीला इतना आसान नहीं मेरे भाई
ना ही कोई तमाशा है
जिसे कहीं भी किया जाए
किसी को भी पात्र बना दिया जाए!
त्यौहार मनाना ही चाहते हो
तो रावण का ही एक अंश अपने भीतर जगाओ
सीता की इच्छा का मान रखो