दरमियान, तेरे मेरे बीच
दरमियान, तेरे मेरे बीच
1 min
747
तेरे मेरे बीच
सवाल कम हैं, जबाव कम हैं..
कभी पूछा क्या
कि मोहब्बत छोड़ क्यूँ दी तुमने,
अपने बीच ये सारे
फ़िज़ूल हिसाब कम हैं..
तुम मिले ही नहीं मुझे
जब ज़िन्दगी हसीं सुबह से उठ कर
उम्र की उजली दोपहरी पर आयी..
तुम्हारा यूँ शाम को मिलना
अंधेरों में ले चला
आसमाँ तो पूरा मिला पर
पर आग में जलता,
आफ़ताब कम है, महताब कम है..
अपलक कट जाती है
रात की स्याही
बंजर किसी सहरा में
अकेले भटकते तारे की तरह,
आँखों से छलकता खारा
आब कम है, हर ख़ाब कम है..
तेरे मेरे बीच
सवाल कम हैं, जबाव कम हैं..