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Dr Arun Pratap Singh Bhadauria

Others

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Dr Arun Pratap Singh Bhadauria

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जी रहा हूँ

जी रहा हूँ

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दर्द सीने में छुपाये जी रहा हूँ,

अपने आप से नाराज हो के जी रहा हूँ।

कुछ लम्हों की खुशी के लिए ही सही,

बहुत समय से खुश नहीं रहा हूँ।

हर पल यादों में खोया हुआ हूँ,

तुम्हारी यादों में जी रहा हूँ।

दर्द सीने में छुपाये जी रहा हूँ,

अपने आप से नाराज हो के जी रहा हूँ।

दर्द सीने में छुपाये जी रहा हूँ,

आँखों से आंसू बहाये जी रहा हूँ।

तुम्हारी यादें आती हैं रातों में,

मगर उन यादों से बचाये जी रहा हूँ।

दर्द सीने में छुपाये जी रहा हूँ,

अपने आप से नाराज हो के जी रहा हूँ।



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