निर्मल निर्झर सी तू जिंदगी...
निर्मल निर्झर सी तू जिंदगी...
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निर्मल निर्झर सी तू जिंदगी
कलकल बहती
मधुर नाद में गुनगुन करती
तट की सीमाएँ तोड़ती
आवारा सी मस्ती में रहती...
दोस्तों सँग कितनी अठखेलियाँ
बतकहियाँ
कहीं कनबतियाँ...
किस्से कितने कितनी बातें
आवारा से दिन
बंजारों सी रातें....
हाथ में हाथ डाले
झूमते इठलाते
दिन पहले की मस्ती के
याद बहुत है आते...