प्रिय की हाला - ३
प्रिय की हाला - ३
जीवन पथ की ये हाला, पीता जा ओ पीने वाला,
मत डर पथ की विपदाओं से, दर्दों की दुखती आहों से,
राह अनेक हुई तो क्या है, मंजिल एक सुहानी है,
साँसों की आंच पर बैठी, जीवन एक फुलवारी है,
दर्द मिलेंगे तुझको दिलबर, पीकर सब सह जाना होगा,
पी का साथ पाना है तुझको, जग से सहस्र लड़ जाना होगा।
मौत नाम है जीने का फिर, उस पथ पर बढ़ जाना होगा,
नए स्वप्न की खातिर तुझको, बीती को बिसराना होगा,
तन पर पहरा इन साँसों का, फिर पी का साथ निभाना है ,
मधुशाला को पी पी साकी, फिर तुझको उड़ जाना है,
आओ मुझमें खो जाओ सब, पी के रंग में रंग जाओ सब,
इन जामों को छलका छलका, अधरों से आग लगा जाओ सब।
क्रमशः ...