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सोनी गुप्ता

Children Stories Children

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सोनी गुप्ता

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माँ मुझे एलियन बना दो

माँ मुझे एलियन बना दो

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झंझट लगते मुझको यह मोटे- मोटे पोथे, 

पढ़- पढ़कर इनको मैं थक जाता हूँ जैसे, 

लगता जैसे कि ,दुश्मन इसमें छुपे बैठे हैं, 

बता माँ मैं इन सबसे पीछा छुड़ाऊं कैसे? 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


एलियन बन अपना सिर्फ दिमाग चलाऊंगा, 

पत्थर से भारी बस्ते घर में ही छोड़ जाऊंगा, 

रात को सोना, सुबह उठना अपने ही मन से, 

बता माँ अब तू मुझको ,यह सब होगा कैसे? 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


कभी घर तो कभी स्कूल हर जगह फंसा हूँ, 

नहीं आता कुछ भी समझ, जितना पढ़ लो, 

कुछ भी करो भावना मन की नहीं समझता, 

किसी के कहे, चाहे जितनी मेहनत कर लो, 

किस-किस को पढूं, इसको मैं समझूँ कैसे? 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


एलियन बन, सब काम झटपट हो जाएंगे, 

और पढ़ने - लिखने में अच्छे नंबर आएंगे, 

एलियन बन कोई काम न होगा मुश्किल, 

सभी वो काम हमारे,जादू से पूरे हो जाएंगे, 

मुझे समझाओ एलियन बन जाऊँ मैं कैसे, 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


सुना है एलियन की दुनिया है बड़ी निराली, 

पर मेरा जीवन तो जैसे लगता खाली खाली, 

एलियन बनकर ,दमक उठेगा कोना-कोना, 

खेल खिलौने और बातें होंगी खुशियों वाली, 

पर हम तो सीधे-साधे बच्चे, यह होगा कैसे? 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


घर में मम्मी पापा की मनमानी चलती है, 

स्कूल में नंबरों की खींचा तानी चलती है, 

हम प्यारे बच्चे खुलकर कब मुस्कुराएंगे ? 

खुश होते,जब बच्चों की फौज निकलती है, 

हम बच्चों की इच्छाएँ अब पूरी होगी कैसे ? 

माँ अब मुझको एलियन बना दो जैसे तैसेI


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