रौशनी की रात
रौशनी की रात
दीपावली का पर्व सबसे महान
दीपों से सजी जगमगाती रात
परिवार को बांधे ये त्यौहार
खुशियां छाये जीवन में बहार
नयी रौनक, नया जोश, नई धारा
बदल गया इंसान न्यारा न्यारा
लॉक डाउन ने खूब सिखाया
बचत और बचाव का पाठ पढ़ाया
क्या उपहार, क्या उपकार का अंतर मिटाया
हर साल के जैसा न मिलन
न हँसी ठिठोली, न जगमग शोले
धुआं धुआं हुआ संसार
मातम छाया घर घर
महामारी और विस्फोटकारी
से कितने हो गए अनाथ
शेष जो बाकी है, उसे सँवारना है
बच्चों की स्वर्णिम हँसी लौटाना है
जो बस में है उसे निभाना है
दहलीज को फूलों से सजाना है
महकेगी रसोई पकवानों से
दान दया धर्म उपकारों से
प्यार की रंगोली संस्कारों से
आशा के दीप जलाएंगे
दिल से ख़ुशी की कामना करते हुए
अमन और प्रेम की दीपावली मनाएंगे
