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Preeti Sharma "ASEEM"

Others

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Preeti Sharma "ASEEM"

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कब से

कब से

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मैं कब से क्या ढूँढ रहा हूँ .........!


मैं क्या ........?

कब से ,

क्या ढूँढ रहा हूँ।


अवचेतन मन के, 

चेतन से।

बरसों से ही, 

यहीं चेत रहा हूँ।


मैं तब से, 

उस चेतन को, 

ढूँढ रहा हूँ।


सब भूल -भूलावा है।

एक शून्य दिखावा है। 


जगत को रचने वाले का, 

अजब तमाशा है।


मैं गजब तमाशा सारा, 

कब से झेल रहा हूँ।


मैं तब से ,

अपने भीतर को, 

टटोल रहा हूँ।


मैं ज्ञान को बना के पतवार, 

शिवमय आनंदसागर को ढूँढ रहा हूँ।

   


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