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Madhu Vashishta

Others

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Madhu Vashishta

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नवयुग

नवयुग

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नवयुग की आहट सुनाई तो देती है।

बदलाव की स्थिति समाज में दिखाई तो देती है।

गिरते मूल्य बदलते संस्कार।

अद्भुत जानकारियां, समीप आता संसार।

घर और पड़ोस में एक दूसरे की खबर नहीं।

लेकिन सात समुंदर पार चल रहा है प्यार।

यह कैसा नवयुग आया है?

बच्चों में बचपना नहीं, युवाओं में नहीं संस्कार।

बच्चे विदेशों में बस रहे हैं, वृद्धजन है बेजार।

वह पुराना जमाना था जिसमें अहमियत सिर्फ प्यार की ही थी।

जानकारियां बेशक कम थी लेकिन जरूरत सबको परिवार की ही थी।

अब यह नवयुग है, सबको ही आगे बढ़ना है।

इस भौतिकता वाद के युग में सब को सब कुछ ही खरीदना है।

 उन सब कुछ की कीमत भले ही प्यार हो परिवार हो या हो संस्कार!

हर जगह तो लोन मिले हैं ले लो भले ही उधार।

दो दो चेहरे सभी लिए घूमते हैं, एक सोशल मीडिया के अंदर है और एक है बाहर।

सच जानना बहुत ही मुश्किल है कि किस के मन में धोखा है किस के मन में प्यार?

नवयुग की आहट सुनाई तो देती है

बदलाव की स्थिति भी समाज में दिखाई तो देती है।


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