हकीकत
हकीकत
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आज का सच तो यह है कि इन्सान को
खुद पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं ,
बस भटक रहे हैं दर-दर चौखट-चौखट
माथा रगड़ रहे हैं !
खुद के किये कर्मों को कभी आँका नहीं
बस चमत्कार की आशा कर रहे हैं ,
हैं परेशान क्यों कि मेहनत से डर रहे हैं
और दोष परवरदिगार पर मढ़ रहे हैं !