वाढती पातके
वाढती पातके
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पातके वाढली। देवा भूमीवर।
आता अवतर। पांडुरंगा।।
चित्ती आहे घाण। ओठांवर ज्ञान।
नाही मान-पाण। वरिष्ठांना।।
राहिलीच नाही। गुरुजींची भिती।
नाही जगी प्रिती। राहिलेली।।
व्याजस्तुती प्रिय। सगळ्यांना वाटे।
दिसतील काटे। कैसे मग?।।
सत्य लागे कडू। येथे मानवास।
आहे सहवास। असत्याचा।।
कर्णासम कोणी। नाही जन्मीयला।
नाही पाहियला। दानवीर।।
भ्रमणध्वनीने। पोरं बिघडले।
संपर्क जोडले। आहे जरी।।
येऊनिया बघ। झाली काय दशा।
संपत्तीची नशा। वाढलेली।।
दाव माणुसकी। देवा मानवांना।
नष्ट दानवांना। कर देवा।।
अजु म्हणे किती। बघशील अंत।
सोड आसमंत। भगवंता।।
