ज्ञानी मर्कटे
ज्ञानी मर्कटे
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देह ईश्वरीय | मन बेलगाम |
बुद्धिवादी असू | मती मूढ ||
प्रवचने नको | सन्मार्ग अमान्य |
घोडे दामटले| स्वतःचेच ||
सारासार मत |अमंगल बोल |
कर्णी ना पडावे |अपवित्र ||
लोचनांनी सारे| सुंदर पहावें |
पृथ्वीवरचे ते| वस्तू चित्र ||
असत्य वचने| न काढावे मुखा |
नित्य वदावे जे| मधुर ते ||
