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प्यार साथ दूर नाराज़ अफ़सोस इन्तजार हिंदी कहानी सुनो मैं घर छोड़ कर भाग रही हू प्यार भुलाए नहीं भूलता उसकी याद न जाने क्यों जाती ही कोई इस तरह थोड़े ही छोड़ जाता है जो प्रेम और सच्चे समर्पण का मोल समझे उसे पूर्णतः अंत तक निभाए वही प्रेम का "सुपात्र " होता है। जो बीच राह में छोड़ दे उसका जीवन से चले जाना ही बेहतर जिससे कि "सुपात्र " के लिए स्थान रिक्त हो सके। आज के युग में बहुत लोग अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ आते है जो की बिलकुल गलत है ख़ास कर के भारत जैसे देश में जिस देश की संस्कृति साथ रहना सिखाती है उसी आधार मान कर लिखी गयी है मेरी ये कहानी।

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