लेखक: विताली बिआन्का अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विताली बिआन्का अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
मेरे लिए एक काम करोगी प्लीज, इस बात को राज़ ही रखना मेरे लिए एक काम करोगी प्लीज, इस बात को राज़ ही रखना
असीमानंद थोड़ी देर असमंजस में रहा फिर उसने वापस ज़मीन पर लेटकर उस आकृति को प्रणाम किया असीमानंद थोड़ी देर असमंजस में रहा फिर उसने वापस ज़मीन पर लेटकर उस आकृति को प्रणाम...
एक दिन कुप्पन अपने खाने को मिट्टी की प्लेट से निकाल कर खा रहे थे जो उनके बेटे ने उन्हें दे दी थी। मि... एक दिन कुप्पन अपने खाने को मिट्टी की प्लेट से निकाल कर खा रहे थे जो उनके बेटे ने...