वॉटर - पार्क
वॉटर - पार्क


मैं बच्चों के साथ अन्ताक्षरी खेल रही हूँ, आज बच्चे उदास हैं, बोर हो रहे हैं, इसी वजह से रात में इतनी देर तक जाग रहे हैं, वॉटर पार्क जाने का मन है दोनों का l
आज कल बच्चों के स्कूल की छुट्टियाँ हैं और ये जो हमारे है वो किसी प्रतियोगिता परिक्षा की तैयारी में जोर शोर से लगे हुए है देर रात तक चटाई पर बैठ कर अपनी किताबों के साथ व्यस्त रहते हैं l
मेरे इन का स्वभाव न बड़ा ही जुनूनी है, मैं इन के हर जुनून में साथ देना चाहती हूँ...पर कभी-कभी ये दूरी मुझे बहुत परेशान कर देती हैl
पहले ही इतने सालों हम दूर-दूर ही रहे हैं, ये फौज में और मैं घर में बच्चों के साथ....अब जब कि ये VRS ले कर घर आ गए हैं, अच्छी सरकारी नौकरी भी मिल गई है तो अब मुझ से दूर नहीं रहा जाता...अब ये नई तैयारी में लग गए हैं, मैं हमेशा भगवान से यही मांगती हूँ ये जो भी हासिल करना चाहे इनको मिले, और मुझे शक्ति दें ईश्वर कि इनका साथ देती रहूँ और इनके बेरुखी दिखाने पर भी झगड़ा न करूँ l
लेकिन.....
आज बच्चों के कारण मैं झगड़ने का सोच बैठी हूँ (अगर ये बात न माने तो)
मैंने बच्चों को समझाया तुम दोनों अभी प्यारे बच्चों की तरह सो जाओ तो मैं पापा से जा कर बात करती हूँ कि हमें वॉटर पार्क ले जाएं....
ओके मम्मी कह कर बच्चे झट से लेट गए l
और मैं पढ़ाकू जी के कमरे की तरफ चल दी....
"सुनो जी......( डरते हुए बोली) बच्चों को वॉटर पार्क जाना है..."
ये बोले, "हम्म्म्म......अच्छा ...तो मैडम को वॉटर पार्क जाना है...."
मैं शर्माते हुए बोली, "मार दूंगी आपको ...बच्चों को जाना है .."
"तो ..तो .. आप बच्चों से कहें कि अपनी पैकिंग खुद करें..
कहते हुए उन्होंने मुझे पकड़ कर चटाई पर बैठा लिया l
मेरा मन खुशी से उछल रहा है कि शायद मैं भी एक जुनून ही तो हूँ इनका तभी इतनी जल्दी बात मान जाते हैं,
मैं ख़्वाब सजाने लगी कल पूरा दिन हम साथ-साथ और ये मेरे बालों से खेलने में व्यस्त हैं ....और फिर...
आरररर क्या फिर ....आप लोग भी ना मैं क्या कहानी ही सुनाती रहूंगी अब आप लोग अपना काम करिये और ...और..... मैं अपना.....मतलब ड्रेस सलेक्ट करने का काम और क्या........