वो खंडहर
वो खंडहर
"नेहा वो पाँच है और इस खंडहर मकान की दीवारें-दरवाजे हमें ज्यादा देर तक नहीं बचा सकेंगे, हम बहुत बुरी तरह से फंस चुके है।" राजा घबराये स्वर में बोला।
"तो क्या करें राजा...." नेहा रोते हुए बोली।
"कुछ नहीं कर सकते, दोस्तों को फोन कर रहा हूँ सब इग्नोर कर रहे है मुझे। राजा उस खंडहर से नीचे झांकते हुए बोला।
"अभी नीचे खड़े है?" नेहा ने उत्सुकता से पूछा।
"जाना कहाँ है उन्हें, दो बाहर खड़े है, तीन नीचे सीढ़ी के पास खड़े है।" राजा परेशान होते हुए बोला।
इससे पहले नेहा कुछ कहती सीढ़ी से ऊपर आते जूतों की आवाज़ उस खंडहर में सुनाई देने लगी। नेहा और राजा के शरीर पसीने से भीग उठे। फिर ऐसा लगा उस खंडहर कमरे के जीर्ण-शीर्ण दरवाज़े के सामने वो कदम रुक गए।
"देखो बे आशिकों हमे पता है तुम इस कमरे के अंदर हो, बिना हील-हुज्जत के दरवाज़ा खोल के हमें अपना काम कर लेने दो, उसके बाद हम तुम्हें ख़ामोशी से जाने देंगे।" एक भारी सी आवाज़ ने उन्हें डरा दिया।
"डरो मत नेहा ये दरवाज़ा इतनी आसानी से नहीं टूटेगा तब तक कोई न कोई हमारी मदद को आ ही जायेगा।" राजा घबराते हुए बोला।
"दरवाज़े की बात मत कर बेटा, ये तो एक लात पड़ते ही टूट जायेगा। लेकिन उसके बाद हम कोई छूट नहीं देंगे तुम को,तू तो बे भाव पिटेगा और तेरी मेहबूबा की भी ज्यादा दुर्गति होगी।" एक गुर्राती आवाज़ आई दरवाज़े से।
"अब हम क्या करेंगे?" नेहा रोते हुए बोली।
"देख बेबी तू ही समझ जा, तुम लोग इस खंडहर में भजन गाने तो आये नहीं हो, जिस काम से तुम आये हो, वही काम हमें आराम से कर लेने दो उसके बाद तुम मस्ती करते रहना।" ये किसी तीसरे आदमी की आवाज़ थी।
"किसी मदद की उम्मीद मत रखो, जब तक तुम्हारी मदद आएगी तब तक हम अपना काम करके तुम दोनों को इसी खंडहर में दफ़ना के जा चुके होंगे। बेबी पाँच मिनट का टाइम दे रहे है सोचने को, उसके बाद हम दरवाज़ा तोड़ के अंदर आ जायेंगे, उसके बाद जो होगा उसके जिम्मेदार दोनों होंगे। इस बार चौथा आदमी बोला।
"क्या करें नेहा, खोल दूँ दरवाज़ा? राजा रुहासा सा बोला।
"क्या कह रहे हो राजा, वो लोग मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे..." नेहा रोते हुए बोली।
"वो तो वैसे भी नहीं छोड़ेंगे, लेकिन अगर..." राजा घबराता हुआ बोला।
"लेकिन अगर क्या? हम दो है और वो पाँच, हम एक और एक ग्यारह के बराबर होंगे। ये ईंटे उठा कर भिड़ जाते है उनसे, या पूरी तरह जीतेंगे या जान से जायेंगे, क्या कहते हो?" नेहा बहुत उम्मीद से बोली।
नेहा ये फिल्मी बातें न करो, वास्तविक जिंदगी में ये सब नहीं होता।" राजा गुस्से से बोला।
"तो क्या करोगे राजा? दे दोगे मुझे उन दरिंदो के हाथों में? नेहा रोते हुए बोली।
"नेहा मैं बाहर निकल के रिक्वेस्ट करूँगा उनसे...." राजा उस टूटे-फूटे दरवाज़े की और बढ़ते हुए बोला।
"ऐसा न करो राजा जी मैं बर्बाद हो जाऊंगी, दरवाज़ा खोलने से पहले मेरा गला दबा कर मुझे मार दो..." नेहा जोर-जोर से रोते हुए बोली।
राजा ने दरवाज़े पर जाकर बिना नेहा की और दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गया।
लगभग पाँच मिनट बाद वो पाँचों युवक राजा को लेकर उस कमरे में आ घुसे।
"उठो दीदी, ये बेगैरत इंसान तुम्हें हमारे हवाले करने के बदले अपनी जान की सलामती का सौदा कर रहा था हमसे। उनमें से एक युवक राजा को उसके कालर से पकड़ कर घसीटते हुए बोला।
नेहा ने आँसू भरी आँखों से राजा की और देखा।
"किस मक्कार की और देख रही हो दीदी, पापा सही कहते थे ये इंसान तुम्हारे लायक नहीं है। उन्ही के कहने पर मैंने और मेरे दोस्तों ने ये ड्रामा रचा, तुमने भी खूब साथ दिया इस बेगैरत इंसान की सच्चाई जानने के लिए, आओ अब घर चले। वो युवक राजा के मुँह पर जोरदार तमाचा जड़ते हुए बोला।
नेहा आँसू पोंछते हुए उन युवकों के साथ उस खंडहर से बाहर आ गई।