Pawanesh Thakurathi

Others

4.7  

Pawanesh Thakurathi

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वक्त

वक्त

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पिता ने पुत्र से कहा- "बेटा, अब भी वक्त है। संभल जाओ। पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दो। जो वक्त चला जाता है, वह फिर दोबारा नहीं आता।"

बेटे ने पिता की बात को गंभीरता से नहीं लिया। 

घूमने-फिरने और आवारागर्दी में अपना समय बरबाद किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि वह लगातार अनुत्तीर्ण होता गया। कुछ समय बाद उसने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी। 

दस साल बाद उसके अधिकांश मित्र जब अच्छी नौकरियाँ प्राप्त कर चुके थे, बहुतों की शादी हो चुकी थी, तब वह आजीविका हेतु अथाह संघर्ष कर रहा था। उसे अब एहसास हो चुका था कि उसने जीवन में क्या खोया, लेकिन अब वक्त आगे बढ़ चुका था। 



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