STORYMIRROR

Nandita Srivastava

Children Stories

2  

Nandita Srivastava

Children Stories

वह काली लडकी

वह काली लडकी

2 mins
348

वह काली लडकी हर रोज हमारे घर के सामने से गुजरती हैं,पता नही काहे सर झुकाये रहती है बडा बैग टांग कर जाती है काली लडकी,अरे उसका काला तो है पर नाम कितना सुंदर है,शामली वह मेरे मन बहुत भाती पता है काहे उसकी नाजुक अदा पर गंभीर रहना एक दिन हमने रोक ही लिया अपने विधालय से लौट कर कडक की धूप उसका पैदल जाना हम को टीक नही लग रहा था हमने कहाँ शामली कुछ देर बैठो मेरे पास हमको मालूम है कि समय नही पर कुछ लिखना चाहती हूँ तुम को समझना चाहती हूँ,इसी लिये बहुत थोडा सा समय ले रही हूँ,बडे ही संकोच से आयी पर ठंडापानी जैसे ही अंदर गया पता नहीं आंखों से पानी निकल आया हमने भी रोने दिया जब मन कुछठीक हुआ तो बोली कि हम सब भाइयों और बहनों में सबसे काले है,इस में मेरा कसूर कितना है नहीं मालूम पर आज परिवार मैं ही चला रही हूँ,हमको जो भी मिला अपनी मेहनत से ना कि किसी सिफारिश पर सरकारी टीचर हूँ,रोज ताने सुनती हूँ कि पता नहीं कहाँ से इतनी काली लडकी आ गयी परिवार मे कैसे शादी होगी हमने कहाँ तो कुछ नही पर साबित कर दिया अपने आप को,हम को उसी पल से वह लडकी इतनी सुंदर लगने लग गयी कि दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा है वह तभी तो हमारी जिंदगी का किरदार है कहने का आशय यह है कि रंगा कोई मायने नही रखता आप जीवन में कहाँ हो यह मायने रखता है चलिये आज बस यहाँ तक आप का दिन मंगलमय हो


Rate this content
Log in