Aarti Ayachit

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उपहार छतरी

उपहार छतरी

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पहले झमाझम बारिश हुआ करती, माँ ने जतन से रखी पापा की "उपहार-छतरी", वहीं छतरी मांग ली चचेरी बहन ने।

मैं कॉलेज से भीगकर आई, मुझे दोबारा जाना फ़ीस भरने, अब जरूरत पड़ी छाते की। पता चला, बहन छाता ओटो में गई भूल, पर ओटो चालक स्वयं छतरी वापिस कर गया।

छतरी को हाथ मे उठाते ही ऐसा लगा मानो भगवानजी ने मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी हो । मैंने यह निश्चय किया, माँ की अमूल्य-छतरी ठीक उसी प्रकार रखूंगी, जिस तरह माँ अपने बच्चे का ध्यान रखती है। छतरियों के तोहफे सहायता-केंद्र में दान स्वरूप भेंट किए हमने।



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