Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

उचित समय पर उचित काम

उचित समय पर उचित काम

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आज गूगल मीट के माध्यम से होने वाली आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग) में मेरी अपनी कक्षा के साथ-साथ दूसरी कक्षाओं के कुछ बच्चे भी बैठक में शामिल हुए। उन्हें हमारी कक्षा के कुछ विद्यार्थियों के माध्यम से यह जानकारी हुई थी कि आज की बैठक में बड़े ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा होने वाली है। वैसे भी जब इस वर्चुअल मीटिंग के बाद कक्षा के बच्चों की दूसरी कक्षाओं के बच्चों से बैठक में हुए विचारों के आदान-प्रदान के बारे में चर्चा होती थी तो वे भी इस बैठक में शामिल होने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त करते थे। इसके बारे में मेरी कक्षा के कुछ विद्यार्थियों ने मुझसे इस बारे में बात की थ और उन्हें भी हमारी कक्षा के साथ इस विचाराभिव्यक्ति में शामिल होने का अवसर देने की अनुमति देने की बात कही थी। मैंने उनको कहा कि एक शुभ और कल्याणकारी कार्य में किसी को अवसर देना एक अच्छी बात है और वह भी तो तुम्हारे जैसे ही देश के भावी नागरिक हैं।आज अच्छी शिक्षा प्राप्त करके देश के लिए कुछ करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं । विद्यार्थी काल में जो हम सीखते हैं वह आगामी जीवन में हमारे काम आता है ।आज के बच्चे कल का भविष्य हैं तो बच्चों को विकास के लिए सभी संभावित रास्ते रास्तों पर उन्हें मार्गदर्शन मिलना ही चाहिए। सभी बच्चों को मेरी ओर से आमंत्रित करना कि इस कक्षा की मीटिंग में उन सब का स्वागत है वे बिना किसी संकोच के पूरे खुले मन के साथ बैठक में भाग लें।


राधेश्याम और रीतू बहुत ही घनिष्ठ मित्र हैं। आज राधेश्याम अपनी कक्षा के कुछ सहपाठियों के साथ आज की मीटिंग में शामिल हुआ है।जब राधेश्याम का प्रवेश हुआ था और उसे रीतू के साथ मेरी कक्षा में प्रवेश नहीं मिल पाया था । उसको दूसरा सेक्शन आवंटित किया गया था तब वह मेरे पास आया था कि हम मैं और रीतू घनिष्ठ मित्र हैं और हम चाहते हैं कि हम दोनों को एक ही सेक्शन में प्रवेश दिया जाए तो मैंने उसे समझाया था कि विद्यालय के अपने कुछ नियम होते हैं जिनके आधार पर बच्चों को कक्षाएं आवंटित की जाती हैं । तुम दो अच्छे मित्र हो और निश्चित रूप से अच्छे विचार सब जगह पहुंचे इसलिए अच्छाई को बिखर कर रहना चाहिए ताकि उसका प्रभाव दूर दूर तक पहुंच सके। फिर तुम अपनी किसी शंका के समाधान के लिए किसी भी समय मेरे पास आ सकते हो किसी भी दिन किसी भी समय तुम अथवा कोई बच्चा फोन के माध्यम से मुझसे संपर्क कर सकता है। और कभी ऐसा हो कि तुम्हें किसी समस्या के समाधान हेतु इस कक्षा में बैठना चाहो तो तुम अपने अध्यापक से अनुमति लेकर इस कक्षा में बैठ सकते हो । इसी प्रकार रीतू भी तुम्हारे साथ तुम्हारी कक्षा में बैठना है तो मैं उसे तुम्हारी कक्षा में बैठने की अनुमति दे दूंगा। जो व्यवस्था विद्यालय द्वारा निर्धारित की गई है उसका हम सबको ही पालन करना चाहिए।


मैंने इस वर्चुअल मीटिंग में औपचारिक रूप से राधेश्याम का स्वागत करते हुए उसे आशीर्वाद दिया और आज की इस बैठक में पहला प्रश्न उसे ही रखने का आग्रह किया। राधेश्याम ने पूछा कि जब यह कहा जाता है कि शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली एक सतत् प्रक्रिया है तो बहुत सारे बच्चों को यह पढ़ाई भार स्वरूप लगती है। जब आगे जीवन में अध्ययन का अवसर मिल सकता है तो इस समय ही उन्हें बिना मन से पढ़ने के लिए बाध्य करना क्या अनुचित नहीं है?


मैंने राधेश्याम सहित सभी बच्चों को समझाया इस संसार में हर कार्य का अपना एक उचित समय होता है ।समय पर ही बीज अंकुरित होता है, कोई पेड़ या पौधा पल्लवित और पुष्पित होता है। समय आने पर ही उसमें फल आते और पकते हैं। हर कार्य की अपनी एक नियत अवधि भी होती है ।तुमने वह काव्य& पंक्ति तो सुनी ही होगी ,'धीरे- धीरे कर मना ,धीरे सब कुछ होय ; माली सींचै सौ घड़ा, ऋतु आए फल होंय',। बाल निकाल अध्ययन का और जीवन का एक स्वर्णिम समय होता है यदि कोई काम निर्धारित समय पर होता है तो आगे आने वाले काम अपने आप से निर्धारित समय पर होते रहते हैं। संयोग या किसी अन्य कारण से यदि किसी काम के शुरुआत में ही कोई अड़चन आती है तो वह आगे भी उसके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालती है। कहा गया है कि एक अच्छी शुरुआत आधे काम की समाप्ति है। जीवन में आगे चलकर व्यक्ति को और भी अधिक दायित्व मिलते चले जाते हैं उस समय उसका मुख्य कार्य उन अपने दायित्वों का निर्वहन है ।यदि बाल्यकाल में ही उचित शिक्षा- दीक्षा मिल जाती है जो हमारे जीवन के आगे आने वाले सभी कार्यों को आसान बनाती है । हमारी कार्य में निपुणता उन्हें बेहतर और ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा करने में हमारी मदद करते हैं।


रीतू ने जानना चाहा कि अधिकांश लोग अपना अध्ययन पूरा करने के बाद ही कोई काम करना प्रारंभ कर देते हैं फिर भी कार्य के दौरान विभिन्न प्रकार के अध्ययन कोर्स क्यों चलाए जाते हैं ।इनको सीखने में जो समय लगता है वह समय अपने सीखे हुए कार्य को पूरा करने में लगाया जाए तो अपेक्षाकृत अधिक कार्य होगा और कार्य करने के दौरान अध्ययन से जो तारतम्य भंग होता है वह भी कार्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। तो कार्य करते समय उस अवधि में ही अध्ययन के जो कोर्स कराए जाते हैं उनकी क्या आवश्यकता है?


विकास का पहिया हर समय चलता रहता है ।नवीन तकनीक कार्य को अधिक सुगम, आसान और प्रभावी बनाती है। इस नई तकनीकी ज्ञान के प्रयोग से हम उत्पादन में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार कर सकते हैं । इस नई तकनीक का ज्ञान देने के लिए कार्य कर रहे लोगों को उनके कार्य से संबंधित निपुणता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाए में चलाई जाती हैं। इन कार्यशालाओं में किसी व्यक्ति द्वारा किए जा रहे कार्य को बेहतर ढंग से किए जाने पर विशेष जोर दिया जाता है। इससे व्यक्ति की कार्य क्षमता और कार्यकुशलता बढ़ती है तथा उत्पाद किस श्रेणी में उत्तरोत्तर सुधार होता है। यह बात बहुत ही आवश्यक हो जाती है कि जब हम किसी काम को सीखे तो उस प्रशिक्षण में पूरे मनोयोग के साथ सीखने का प्रयास करें ताकि जब मुख्य रूप से हम अपना कार्य करें तो यह प्रशिक्षण को अच्छी तरह से पूरे करने का लाभ हमें हमेशा ही मिलेगा।


मैंने राधेश्याम को संबोधित करते हुए कहा कि बेटा राधेश्याम, आज की इस बैठक से मूल रूप से तुमने क्या सीखा ? तुम्हारे अनुसार अध्ययन और प्रशिक्षण की क्या उपयोगिता है?


राधेश्याम ने अपने मन के उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की बैठक से हम सबने ही यही सीखा गया कि जीवन में जो कार्य जिस आयु के लिए उचित है उसे उसी समय कर लेना चाहिए ।बाल्यकाल हमारे जीवन का प्रभात होता है तो जिस तरह से यदि हम जल्दी बिस्तर छोड़कर सुबह अपने कार्यों को एक योजनाबद्ध तरीके से पूरा कर लेते हैं तो सारा काम समय से पूर्ण हो जाता है । हमें किसी तरह की अफरा-तफरी का सामना नहीं करना पड़ता है। तो बाल्यकाल जो शिक्षा का स्वर्णिम समय है इसका पूरा सदुपयोग हमें आगामी जीवन के प्रशिक्षण के रूप में लगाना चाहिए। पूरे मनोयोग के साथ हमें अपने आगामी जीवन की तैयारी करनी चाहिए ताकि हम आगे चलकर अपनी निपुणता और कुशलता के साथ अपने कार्यों को पूरा करें और जिससे हमारे समाज और देश का कल्याण हो सके।


सभी बच्चों ने करतल ध्वनि से राधेश्याम के विचारों की सराहना करते हुए औपचारिक अभिवादन के उपरांत इस वर्चुअल मीटिंग से विदा ली।


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