ठहराव में जीवन्त हुए रिश्ते
ठहराव में जीवन्त हुए रिश्ते


समाचार और सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस बिमारी के विषय में इतना कुछ बताया गया कि हम सहम से गए। सबसे पहले हमने अपने बेटे को हास्टल से बुलाया। तभी पूरे देश में फूल लाॅकडाउन लगा गया ,ओह कुछ समय और मिल जाता तो कुछ काम और निपटा लेते। ॓ अब क्या करें समझ से परे था। सारे काम काज ठप्प हो गया। सामने काम की लम्बी सूची परन्तु हाथ पर हाथ रखकर बैठना हमारी मजबूरी है। सामने बहुत सी व्यवस्था, जिम्मेदारी सामने खड़ी हैं, ये सब कैसे होगा। थककर हमने टीवी चालू कर बैठ गए। कहा जा सकता है कि हम चारों चार जगह पर विराजमान हो गए। कोई टीवी के सामने , तो कोई मोबाइल लेकर समय बिताने लगे । चिंता होने लगी , शाम को हम पति-पत्नी छत पर खड़े थे तभी मेरे दोनों बच्चे आए। और पूछा कि क्या देख रहे हैं। मैंने कहा ॔ पूरे शहर में सन्नटा पसरा हुआ है। ॓ बेटे ने कहा "नहीं , पूरे शहर में शांति है।" ॓ मैंने कहा ॔ "मैंने अब तक जाना है कि व्यस्तता ही जीवन है!" ॓ बच्चों ने हंसते हुए कहा कि ॔ "अवसर है चलिए आराम करने। जो होगा देखा जायेगा।" ये स्थिति सभी की है । ॓ मैंने मन ही मन पछताया कि काश कोई भी काम पेंडिंग नहीं छोड़ी होती , समय पर सारे काम की होती। दुसरे दिन कुछ सोचें उसके पहले ही बेटे ने सभी को गरम पानी पिलाकर छत पर ले गया। छत पर हमने टहला और योगा किया। अब यह नियमित होने लगी। उसके बाद सबने मिलकर घर की सफाई किया ।सफाई के बाद मेरे पति ने कहा ॒ ॔ ऐसा लगता है कि दीपावली के बाद अभी सफाई हुई है। ॓ मेरी बेटी ने कहा कि ॒ ॔ कितना सुंदर लग रहा है न अपना घर । ॓ मेरी बेटी का बोर्ड परीक्षा है सो हमने टाइम टेबल बना कर पढ़ाई की तैयारी की। उसने अपने पापा और भईया के मार्गदर्शन में पढ़ाई दुगनी उत्साह से शुरू किया। बच्चे हमें व्यस्त किए रहते थे रोज ही कोई न कोई खेल खेलते उसमें काफी नोंक झोंक पर ही खत्म होता। एलबम निकला जिससे पुरानी यादें ताजा हो गई।