तस्वीर
तस्वीर
आपने अक्सर घर की दीवारों पर कोई न कोई तस्वीर टंगी हुई देखी होगी।भले ही वो कितनी पुरानी हो या फिर कितनी ही कीमती, आप उस तस्वीर को देखकर उस पल को जीना चाहते हैं।
मैनें एक तस्वीर देखी मेरे घर की दीवार पर जो पुरानी भी थी और बेहद कीमती भी , क्योंकि वो तस्वीर उस वक्त की थी जब मैं पांच साल का था।
उस तस्वीर में परदादा थोड़े उम्रदराज व्यक्ति हैं और मेरे दादा थोड़े जवान , और मेरे पापा एकदम जवान ।मैं दादाजी की गोद में बैठा हुआ हूं और पापा और परदादा दूसरी तरफ खड़े हैं।
मेरी जिंदगी का यह अजीब इतिफाक है, मैं चाहते हुए भी उन पलों को नहीं जी सकता।
मैं उस पल को जी तो नहीं सकता हूं लेकिन एक अहसास जरूर जगता है मेरे दिल में कि मैं पांच साल का हूं।दादाजी की गोद में खेल रहा हूं।पापा पास में खड़े है ।तभी मैं नीचे उतर कर चलने की कोशिश करता हूं और गिर जाता हूं ।पापा प्यार से डांट लगाते हैं।
मम्मी दौड़कर आती हैं और मुझे दूध पिलाती हैं।और फिर मुझे दादाजी के पास छोड़कर अन्य काम में लग जाती हैं।इसी अहसास में जिंदगी का एक खूबसूरत लम्हा जी लेता हूं।
