और खत्म हो गई फूल से कैक्टस बनने की कहानी जो समाज ने उनको दिया था।
यह एक वियोग कथा है ..................
"हमारे यहां अनजान महिला को बहन कह कर बुलाते हैं!
‘ठीकेदारिन कहते हैं उसे मज़दूर-रेज़ा, नेता-परेता। ठाठ तो देखिए...ठाड़े-ठाड़े गरियाती है लेबरों, अफसरों और मउगे नेताओं को...
जब मैं मिली थी उससे ,वह अकेली थी, कोई भी नही था, एक छोटा सा घर, वहाँकैद थी वह. और शायद कुछ अनकही बातें थी जो मुझे बता न...
हम लड़कों की एक हल्की आहट से, हल्के अंधेरों में औरतें खुद को महफूज़ नहीं समझती!