तीसरा दिन
तीसरा दिन


प्रिय डायरी 27/03/20
आज तीसरा दिन भी खत्म होने को आ गया। कहते हैं समय कभी किसी के लिए नहीं थमता पर अभी तो ऐसा लगता है कि समय भी थम सा गया है।
याद ही नहीं आ रहा इतवार वाला sunday पिछली बार कब आया था। लॉक डाउन का तीसरा ही दिन है पर जैसे लग रहा है महीनों से चल रहा है।
अभी कुछ दिनों पहले की तो बात है, सुबह होती थी, फिर दोपहर , फिर शाम और फिर रात। अभी तो लगता है सुबह शुरू होती है कब तक चलती है पता नहीं लेकिन फिर से सुबह ही शुरू होती है। पर ये सुबह हमेशा जैसी क्यूँ नहीं है, ये लेकर आती है थकान और खीज। इंतज़ार है पहले जैसी सुबह का।
बहुत सारे काम के साथ बहुत सारी फुरसत भी है जिसकी ख़्वाहिश मुद्दतों से थी, पर ये फुरसत आई भी तो अपनी अज़ब शर्तों के साथ कि किसी से नहीं मिलना।
एक दुष्कर और सख़्त वक्त से हम सभी गुज़र रहे हैं जो सदियों तक याद किया जाता रहेगा, जिसके किस्से कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाएँगी। प्रकृति का शाश्वत नियम है कि रात के बाद दिन और दुःख के बाद सुख आता ही है। क्या ये समय भी जाते समय अपनी भरपाई कर के जाएगा.........