तीसरा भाग: कोरोना का गणित
तीसरा भाग: कोरोना का गणित
सभी वेकक्सिन लगवाकर खुश हैं, की कोरोना से पार पा गए। कोरोना दूर खड़ा लाचारी से देख रहा है की मौका मिले तो फिर से हमला बोल दूँ, दूसरी और हम वेकसिन लेकर खड़े हैं और चिढ़ा रहे हैं, ले आ जा, आजा... इंजेक्शन लगा देंगे। पर क्या सच में कोरोना को हरा दिया हमने? इस सवाल का जवाब भी कोई हाँ में नहीं देता, अजीब सी दशा हो गई है, हम जीत गए, हम जीत गए पर कोरोना भी नहीं हारा।
कोरोना पर गणित में क्या बात होगी। सभी क्लास भी बंद हो गयी थी। ऑनलाइन की नौटंकी चल रही थी । जिसे देखना है देखे, जिसे जुड़ना है जुड़े। कोरोना के डर से किसी को बाध्य भी नहीं किया जा रहा था। कोई आँख फैला दे, हल्का सा भी छींक दे, सभी का एक ही मशवरा – भाई तू रहने दे! आराम कर, हो जाएगी क्लास। ऑन लाइन क्लास में भी डर, कहीं वाइरस स्क्रीन से निकलकर हमला ना कर दें।
शैड्यूल को ऊपर -नीचे कर ही रही थी की विकास सर का नाम दिखाई दिया, कोरोना पर बात -चीत में ये क्या कर रहे हैं, मैं चौंकी। पर विकास सर की क्लास, इसी में रोल होना था, देखें गणित में कोरोना को कैसे समझाया जाएगा।
सर की क्लास शुरू होने से पहले ही जॉइन करके बैठ गए थे, सर ने क्लास का ओजेक्टिव बताते हुये कहा की कैसे कोरोना बढ़ता जाता है, आज हम इसी को जानेंगे। नाम कोरोना का और शुरू कर दी फिर एक कहानी, पक्के कहानीबाज थे वो, इसलिए तो थे मेरे फ़ेवरट।
एक बार की बात है, पुराने जमाने की बात है, बहुत पुरानी तो नाम-वाम कुछ याद नहीं ठीक से पर कहानी के कंटेंट पर ध्यान दो, नाम में क्या है, जो चाहे रख लो। राजाओं को कुछ काम -धाम तो होता नहीं था, टाइम -पास के भी नए -नए तरीके। कभी शिकार, कभी नाच -गाना, कभी कुश्ती। एक बार उन्हे किसी ने ऐसा खेल भेंट किया और बताया की आप अनेकों चाल चल सकते हैं, जब तक चाहें खेला चलते रहे और रोमांच भी बढ़ता रहे। बैठे -बैठे जंग का मजा, रानी के लिए, हाथी-घोड़ा, वजीर, ऊंट और सेना भी। सब मरेंगे -मारेंगे और राजा को चुनौती मिल सकती है मारा नहीं जा सकता, खेल ख़तम ।
राजा को ये खेल भयंकर पसंद आया, जैसे -जैसे नियम समझ में आते गए, राजा खेल में डूबता गया। एक दिन खेलते -खेलते बातों -बांतों में राजा के मन में आया की,” ये शानदार खेल बनाया किसने, उसे मुंह मांगा इनाम दे दूँ, उसका पता लगाया जायें”। खोज शुरू हुई, राजा के अच्छे दिन थे, जल्दी मिल भी गया, उन्हीं के राज्य का एक आम से भी आम आदमी था।
दरबार लगा, खूब प्रशंसा हुई। राजा ने अपना फरमान सुनाया – जो मांगना है, मांग लो, मैं बहुत प्रसन्न हूँ। चेसा, उस आदमी का नाम जिसने खेल बनाया था, बोला आप दे नहीं पाओगे।
इतना सुनना था की राजा भड़क उठा, ये फकीर से भी पर फ़कीर क्या मांग लेगा, मेरी सल्तनत को ललकार दिया, बोल क्या चाहिए?
चेसा ने विनम्रता से कहा- महाराज, मुझे एक खेल के हर एक खाने में गेहूं के दाने चाहिए, हर खाने में पिछले से दो गुना।
ये सुनकर राजा हंसा, खूब ज़ोर से हंसा, मंत्री-संतरी भी हँसने लगे। चेसा ने उनके ठहाके के बीच में कहा- क्या मेरा पुरस्कार मिलेगा की जाऊँ ?
राजा ने हँसते -हँसते कोष मंत्री को इशारा किया और कहा की दे दो। राजा दो घंटे बाद महल से बाहर निकला, और क्या देखता है की चेसा वहीं बैठा हुआ है, गया ही नहीं अभी तक। पूछने पर पता चला की इनाम अभी तक नहीं मिला। राजा ने कारण का पता लगाया, अभी भी मंत्री गण की गणना जारी थी, राजा धमका कर आगे बढ़ गया की जल्दी करो।
शाम को भी वही सब, चेसा वहीं बैठा था, राजा का पारा अब तो सातवें आसमान पर। पता लगाया तो पता चला की ये इनाम तो सच में दिया ही नहीं जा सकता। किसी समझदार ने समझाया, की हर खाने में पहले से दुगने दाने रखने पर आखिरी पंक्ति में पहुँचते -पहुँचते इतने दाने हो गए हैं की हमारे राज्य में क्या। सारी धरती पर गेहूं की फसल बोई जाये, उससे भी ये ना हो पाये।
64वें खाने तक पहुँचते -पहुँचते ये रकम हो जाती है, पढ़ सकता है क्या कोई - 18,446,744,073,709,551,615
सभी ने कोशिश की पर जल्दी ही हार मान ली, जैसे राजा को अपनी गलती का पता चला तो उसने हार मान ली और माफी मांग ली।
तो बच्चों हम तो कोरोना कैसे फैलता है को समझने बैठे थे ना, कुछ समझ में आया या समझाऊँ?
कुछ -कुछ समझ में आने लगा था, पूरा समझ में आने को सर मना करते हैं मतलब कुछ दिक्कत है। हमें लगता है की एक आदमी कितने को फैला सकता है, कितने के कांटैक्ट में आता है। पर इस कहानी से समझ में आया की कैसे जब कोई भी चीज गुणित में बढ़ती जाती है तो उसका फैलाव कितना भयानक हो सकता है, अब हम समझने लगे थे। कोरोना को रोकने का यही सबसे बेहतर तरीका है – इसकी इस गुणित होने की दर को रोकना। इसकी चैन को तोड़ना, हम सब ठान लेते हैं की कोरोना की इस चैन को तोड़ने के लिए जो करना हो हम करेंगे, पर इसे मींकिन करेंगे। हमें तो बस कोरोना के गणित को बिगाड़ना है।
सब बच्चों ने मिलकर ऐसा ही कुछ कहा था सत्र के अंत में, सर को अच्छा लगा की कहानी का असर हुआ,और बोला की कुछ भी ऐसा -वैसा करने से पहने चेसा की मांग को याद कर लेना। ऐसी वृद्धि को जानना अजीब था, सर ने इसके सकारात्मक उदाहरण भी दिये थे की कैसे अमीर आदमी अमीर होते जाते हैं इसी गुणित होने की ताकत को पहचान कर। तो ये थी आज की किस्त, जल्दी सुनाऊँगी अगली कहानी।
हम सब सुरक्षित हैं तब तक सावधानी है, जब हम सबने मास्क आदि सावधानी ली हुई है, हो कोरोना हमारे चारों तरफ, हमें दिखाई दे या ना दे पर हम सतर्क हैं, सब एक साथ हैं- ये एक साथ होना ही हमारी सबसे बड़ी ढाल है। सोचो एक ऐसा चित्र पूरा परिवार मुस्कराकर एक साथ है, अपने आप ही हम सब अपने आप को एक शक्तिशाली ढाल में पाएंगे, मिलकर हम हमेशा जीतते हैं, इस बार भी जीतेंगे।
