तांबे का घड़ा
तांबे का घड़ा
"रिया, वो तांबे का घड़ा जो तुम लाई थी पानी भरने के लिए वह कहाँ रख दिया? आजकल उसमें पानी नहीं भरती?"
"हाँ राकेश अच्छा याद दिलाया तुमने, वो दरअसल इस बार जब हम शादी में जा रहे थे तो मैंने स्टोर रूम में रख दिया था। बच्चे अकेले थे घर पर तो मैंने सोचा वे तो वैसे भी घड़ा नहीं भरेंगे।"
"मैंने सोचा घड़ा चमका चमकाकर थक गई" राकेश ने कहा।
"नहीं राकेश, वो तो राधा अपनेआप घिस घिसकर चमका देती है।"
राकेश के ऑफिस जाने के बाद रिया ने हर जगह ढूंढा पर घड़ा नहीं मिला। अब शाम को जब राकेश घर आया रिया का उदास चेहरा देख पूछा "क्या हुआ रिया कोई टेंशन है क्या, तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है?"
राकेश वो घडा.."मुझे अच्छे से याद है मैंने स्टोररूम में रखा था। लेकिन सुबह से ढूंढ ढूंढ कर परेशान हो गई हूँ, कही नहीं मिल रहा।"
इतने में बड़े बेटे यश ने कहा "यहीं कहीं रखा होगा मम्मा आप फालतू में परेशान हो रही हो मिल जायेगा।"
अरे, ऐसे कैसे मिल जायेगा पूरा घर छान मारा लेकिन कही नहीं मिला। इतने बड़े घड़े को जमीं खा गई या आसमां निगल गया ऐसे कैसे खो गया। तुमसे कहा थोड़ी मदद करा दो ढूंढने में लेकिन नहीं तुम लोगो को कहा पड़ी है। अपने मोबाइल से बाहर आओ तब ना किसी काम के लिए वक्त निकाल पाओगे।बस कह दिया घड़ा ही तो है मिल जायेगा इन्हें क्या मालूम ₹३००० का घड़ा है वो ... इतने में छोटे बेटे राहुल ने कहा ...."माँ ₹३००० का ही था, सोने का तो नहीं था ना तो जो बेवजह परेशान हो रही हो।"
हाँ हाँ तुम लोगों को तो मेरी सारी परेशानी बेवजह ही लगती है। सोने का तो नहीं था पर मेरे लिए सोने से भी कीमती था। छह महीने से सोच रही थी लेने का कई बार तो बाजार जाकर भाव पूछ कर वापस आ जाती कि इतना मंहगा घड़ा कैसे खरीदूं। पर परिवार की सेहत का ख्याल कर छह महीने से पाई पाई जोड़ मैंने वो घड़ा खरीदा। पर तुम बच्चे क्या जानो पैसों की कीमत सब कुछ बिन मांगे जो मिल जाता है।
"तीन हजार रुपयों की तो बात है और घड़ा भला कौन चुरायेगा यही कहीं होगा ध्यान से देखोगे तो मिल जायेगा।"..राहुल ने कहा
सही बात है तुम लोगो के लिए तो पैसे जैसे पेड़ पर उगते है फट से बोल दिया तीन हजार की तो बात है। मुझे तुम लोगो के भरोसे घर छोड़ जाना ही नहीं था। दो दिन गई तो ये हालत है अगर दस दिन के लिए चली जाऊँ तो तुम तो पूरा घर ही लूटा दो।
अब ये बात कहा से आई बीच में ...
बीच में नहीं यही बात है। मैंने तुम लोगों से कहा था ना राधा काम करने आये तो तुम ध्यान रखना। लेकिन तुम लोग तो अपने अपने कमरे में बैठ मोबाइल और दोस्तो संग गप्पे लड़ाने में बीजी होगे और बस इसी बात का फायदा उठा उसने हाथ साफ कर दिया होगा।
माँँ आप...
इससे पहले कि बच्चे और कुछ बोलते राकेश ने उन्हें कमरे में जाने का इशारा किया। रिया बिना सोचे समझे किसी पर इल्जाम लगाना अच्छी बात नहीं है।
राकेश बिना सोचे समझे नहीं सोचकर ही कुछ बोल रही हूँ। तुम जानते हो जब से घड़ा लाया था उसका तो जैसे मन ही आ गया था। बार बार मुझे फायदे समझाती तांबे के घड़े का पानी पीने के। एक दिन की बात है उसने मुझसे पूछा भाभी आजकल आप तांबे के घड़े में पानी नहीं भरती। मैंने कहा नहीं मुझसे नहीं साफ होता रोज़ रोज़। उसने कहा आप क्यों चिंता करती हो थोड़ी इमली भिगो कर रख दिया करो मैं साफ करूंगी। आप ही बताओ बिना स्वार्थ के कौन अपना काम बढ़ायेगा क्योंकि सारे बरतन साफ करो और तांबे का एक घड़ा साफ करो उतना ही समय लगता है। और उसे क्या पड़ी थी जो इतनी मेहनत करे। रोज़ घड़े को घिस घिसकर नये जैसा चमका देती। पहले तो मुझे लगता बेचारी कितनी मेहनत करती है पर अब उसका असली रंग सामने आया।कल आने तो दो उसकी अच्छी क्लास लेती हूँ...
"ठीक है रिया अब रात बहुत हो गई है सो जाओ सुबह देखते है.."
तब तो रिया मान गई लेकिन रिया के आंखों में नींद कहाँ उसे तो बस सुबह होने का इंतजार था कितनी जल्दी सुबह हो राधा काम पर आये और वो उसकी क्लास ले।
राकेश सुबह जल्दी उठा और स्टोररुम की अच्छे से छानबीन की घड़ा मिल गया। उसने घड़ा लाकर किचन में रख दिया। वह जानता था बेचैनी के मारे रिया को सारी रात नींद नहीं आई होगी।
रिया ने सुबह उठकर रसोई में जैसे ही घड़ा देखा उसके खुशी का ठिकाना ना रहा.. किसने रखा ये घड़ा यहाँ, कहाँ से मिला?
"शांत हो जाओ रिया शांत हो जाओ, मैंने यहाँ रखा है, स्टोररूम में ही था। कई बार ऐसे होता है कुछ चीजें हमारी आंखों के सामने होते हुए भी नहीं मिलती।"
थैंक्स राकेश आज तुमने मुझे बहुत बड़ी ग़लती करने से बचा लिया। बिना सोचे समझे कितना बड़ा इल्जाम लगाया मैंने किसी निर्दोष पर। अब मुझे खुद पर शर्म आ रही है।"
तो दोस्तों, अक्सर ऐसा होता है हम बिना सोचे समझे किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी समझ बैठते हैं। सिर्फ इसलिए की वह ग़रीब है हमारे यहां काम करता है। तो कोई भी फैसला लेने से पहले किसी भी पहलू की तह तक जाना बहुत जरूरी है।
